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oil cake: फिर सुधरने लगा तेल खली का निर्यात

locationजयपुरPublished: May 19, 2022 03:29:25 pm

तेल की खली का निर्यात अप्रेल में 10 फीसदी बढ़कर 3.33 लाख टन पर पहुंच गया, जबकि अप्रेल 2021 में 3.03 लाख टन निर्यात हुआ था। खली का इस्तेमाल मवेशियों ( cattle ) के चारे के रूप में किया जाता है।

oil cake: फिर सुधरने लगा तेल खली का निर्यात

oil cake: फिर सुधरने लगा तेल खली का निर्यात

तेल की खली का निर्यात अप्रेल में 10 फीसदी बढ़कर 3.33 लाख टन पर पहुंच गया, जबकि अप्रेल 2021 में 3.03 लाख टन निर्यात हुआ था। खली का इस्तेमाल मवेशियों के चारे के रूप में किया जाता है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन के जारी आंकड़ों के अनुसार कनोला की खली के निर्यात में आए जबरदस्त उछाल के दम पर खली निर्यात के आंकड़ों में बढ़त दर्ज की गई है। मार्च 2022 में कनोला की 93,984 टन खली का निर्यात किया गया था, लेकिन अप्रेल में यह आंकड़ा तेजी से बढ़कर 2.29 लाख टन पर पहुंच गया। एसोसिएशन के अनुसार, अप्रेल में दक्षिण कोरिया को 1.42 लाख टन, वियतनाम को 62,979 टन, थाईलैंड को 41,992 टन, बंगलादेश को 33,422 टन तथा ताइवान को 13,191 टन तेल की खली निर्यात की गई।
खली के निर्यात के मामले में 2021-22 अच्छा नहीं रहा था। साल 2020-21 में देश से 36.8 लाख टन खली निर्यात की गई थी लेकिन आलोच्य साल में यह घटकर 23.8 लाख टन पर आ गई। निर्यात घटने से खली से होने वाली आय भी घट गई। साल 2020-21 में 8900 करोड़ रुपए की खली का निर्यात किया गया था, लेकिन साल 2021-22 में यह 37 प्रतिशत घटकर 5,600 करोड़ रुपए पर आ गई। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान भी खली निर्यात सुस्त रहने की आशंका है। देश में सोयाबीन की घरेलू स्तर पर कीमत काफी अधिक है, जिसके कारण मूल्य के आधार पर भारत सोयाबीन की खली के निर्यात बाजार में प्रतिस्पर्धी नहीं रह पाया है। भारत में सोयाबीन की खली अभी 730 डॉलर बोली जा रही है, जबकि अर्जेटीना ने 510 डॉलर और ब्राजील ने 505 डॉलर का दाम बोला है। हालांकि, अधिक मात्रा में पेराई के कारण कनोला की खली के निर्यात में तेजी आ सकती है।

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