उदाहरण के लिए कोविड-19 टीकाकरण तक पहुंचने में ट्रांसजेंडर्स पहले से ही कई सामाजिक लांछनों, हिंसा और सामाजिक लाभों से वंचित होने का सामना करते हैं। इस समूह के लिए टीकाकरण प्राथमिकता नहीं है और लाभार्थियों को पूरी तरह से पता नहीं है कि सेवा कहां और कैसे प्राप्त करें। इस समुदाय की विभिन्न चिकित्सकीय चुनौतियां है और हॉर्मोन का इलाज हुआ है, इसलिए ये लोग टीके की सुरक्षा को लेकर शंकाओं से भरे हैं। एक अनुमान के अनुसार इनकी आबादी 0.4 मिलियन है। इसके अलावा पहचान, सुरक्षा पर मनोबल बढ़ाना, टीका लगवाने में संकोच, टीकाकरण पर विश्वास का अभाव, स्वास्थ्य की चिंताओं के कारण टीके की सुरक्षा को लेकर डर उन चुनौतियों में से कुछ हैं, जिनका सामना गर्भवती महिलाओं ने किया है। सुरक्षा के डर के कारण संकोच, साइड-इफेक्ट्स को लेकर मिथक के कारण दैनिक मजदूरी की संभावित हानि और व्यस्त दिनचर्या के कारण जागरूकता की गतिविधियों और टीकाकरण शिविरों में भागीदारी नहीं रही।
यूएसएआईडी/ इंडिया ने अपने कार्यान्वयन भागीदारों जॉन स्नो इंक इंडिया (एम-आरआईटीई) और कैटलिस्ट मैनेजमेंट सर्विसेस- कोविड एक्शन कोलेबोरेटिव के साथ मिलकर समाज के कमजोर और सुविधा-वंचित सदस्यों तक पहुंचने के लिए एक मोबाइल वैक्सीनेशन प्रोग्राम लॉन्च किया है। यह प्रोग्राम दो अग्रणी निजी संस्थाओं गिव इंडिया और 3एम के साथ भागीदारी में परिचालित हो रहा है और एक निजी मोबाइल टीकाकरण कंपनी वैक्सीन ऑन व्हील्स भी इसमें साथ दे रही है। डॉक्टरों और नर्सों के साथ 75 से ज्यादा मोबाइल यूनिट्स देश के 22 सबसे कम सेवा-प्राप्त जिलों में निकलेगी। यह जिले झारखण्ड, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में हैं। ये यूनिट्स एक गांव से दूसरे गांव जाएंगी और इनका लक्ष्य अगले 3 महीनों में 6 लाख से अधिक डोजेस देना है।
निजी क्षेत्र की संलग्नता सरकार के 'हर घर दस्तक' प्रोग्राम के अनुरूप है, जिसका लक्ष्य है टीके की खुराक को कमजोर और हाशिये पर खड़े समुदायों के करीब ले जाकर पहुंच की असमानता को कम करना। मोबाइल वैन के माध्यम से टीकाकरण, देश में टीकाकरण की 100 फीसदी कवरेज हासिल करने के प्रस्तावित तरीकों में से एक है। भारत सरकार ने ऐसे लोगों के लिए कोविड-19 टीकाकरण को बढ़ाने के लिए 'हर घर दस्तक' अभियान लॉन्च किया था, जिन्हें दूसरा डोज लगना है और जो लोग टीका लगवाने में संकोच कर रहे हैं, उन्हें राजी करने के लिए। भारत के सुदूर कोनों और पहुंचने में कठिन क्षेत्रों में ज्यादा तैयारी के साथ जाने के लिए इस प्रोजेक्ट ने उत्तर-पूर्वी राज्यों में टीका लगवाने की बाधाओं को समझने हेतु परिस्थिति का विश्लेषण किया था। समुदायों को लामबंद करने के लिए भागीदारियों और सहकार्य के माध्यम से इस्तेमाल हुए संवाद के विविधतापूर्ण टूल्स थे, लोक नृत्य, कला प्रस्तुति, नुक्कड़ नाटक, खेल, दीवार पर लेखन आदि।