scriptघर और गांवों में होने वाली आपात मौतों का नहीं रिकॉर्ड, सता रहा ये डर | There is no record of corona deaths in home and villages | Patrika News

घर और गांवों में होने वाली आपात मौतों का नहीं रिकॉर्ड, सता रहा ये डर

locationजयपुरPublished: May 13, 2021 01:03:19 pm

Submitted by:

santosh

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान गांवों में भी संक्रमण 6 प्रतिशत तक बढ़ चुका है। इसके बावजूद अभी तक गांवों में जांच और इलाज के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। यहां तक कि घरों और गांवों में होने वाली आपात कोविड मौतों का तो डेटा तक ऑन रिकॉर्ड नहीं हो पा रहा है।

पत्रिका न्यूज नेटवर्क.
जयपुर। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान गांवों में भी संक्रमण 6 प्रतिशत तक बढ़ चुका है। इसके बावजूद अभी तक गांवों में जांच और इलाज के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। यहां तक कि घरों और गांवों में होने वाली आपात कोविड मौतों का तो डेटा तक ऑन रिकॉर्ड नहीं हो पा रहा है। ऐसे मृतकों के कोविड प्रोटोकॉल से अंतिम संस्कार पर भी संदेह बना हुआ है।

विशेषज्ञों के मुताबिक प्रोटोकॉल से ऐसे शवों का अंतिम संस्कार नहीं होने पर उनके संपर्क में आने वाले लोगों में कोविड स्प्रेड होने का खतरा भी बना रहता है। हालांकि चिकित्सा विभाग के अनुसार प्रदेश स्तरीय डेटा में ऐसे मृतकों को भी शामिल किया जाता है, जो अस्पताल में मृत लाए गए हों, लेकिन मौत के बाद भी अस्पताल लाने की बजाय सीधे अंतिम संस्कार किए जाने वाले मृतकों के बारे में कोई व्यवस्था नहीं है।

घर पर ही ऑक्सीजन, मौत होने पर रिकॉर्ड कहां!
अस्पतालों में जगह नहीं मिल पाने के कारण प्रदेश में बड़ी संख्या में संक्रमित घरों पर ही ऑक्सीजन सिलेंडर व कंसंट्रेटर से ऑक्सीजन ले रहे हैं। ऐसे कुछ मामलों में आपात मौत हो रही हैं तो उसे डेटा पर लेने की कोई व्यवस्था नहीं है।

आपात मौत पर नहीं हो रही जांच:
कई मामलों में घरों पर ही सामान्य तरीके से मौत हो रही है, लेकिन उसके बाद उनकी कोविड जांच नहीं हो रही। ऐसे मामलों में परिजन शवों को सीधे श्मशान ले जाकर सामान्य तरीके से अंतिम संस्कार कर रहे हैं। इनमें न्यूनतम सीमा 20 तक तो लोग शामिल हो ही रहे हैं।

दावा: जिलों की टीमें करती हैं मॉनिटरिंग:
जिलों की टीमें होम आइसोलेशन मरीजों की भी मॉनिटरिंग करती है। नियमित तौर पर फोन कर उनकी स्थिति पूछी जाती हैं। हम स्टेट के डेटा में भी अस्पतालों में मृत लाए गए मृतकों को शामिल करते हैं।
-डॉ. रविप्रकाश, अतिरिक्त निदेशक चिकित्सा विभाग

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