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गांवों में न नौपत की धमक, न गायकी का दंगल

locationजयपुरPublished: May 29, 2020 05:07:57 pm

Submitted by:

jagdish paraliya

आयोजनों पर लॉकडाउन: कोरोना के शोर में गुम हुई गांवों में लोक गीतों की गंूज

There is no threat of naupat in villages, nor of singing

Lockdown on Events: Folk songs in villages lost in the noise of Corona

सवाईमाधोपुर . न नौपत बाजे की धमक सुनाई पड़ रही है, न लोक गायकी के हेला ख्याल। गर्मियों में गांव इन्हीं लोक गीतों से गूंजते थे। पौराणिक कथाएं सुनने ग्रामीण उमड़ते थे लेकिन कोरोना के शोर में लोक गीतों की गंूज गायब हो गई है।
फसल कटाई के बाद कन्हैया दंगल, सुड्डा दंगल, रामरसिया दंगल, मीणा ढांचा दंगल, महिला सुड्डा दंगल आदि की धूम मचती थी। इस बार सवाईमाधोपुर, दौसा, करौली में ऐसे आयोजन बंद हैं।
लोकगायक बोले, कोरोना पर नहीं बनाएंगे पद
करौली के लालरामपुरा निवासी धवलेराम ५ दशक से पद गाते रहे हैं। बोले, हम कोरोना पर कोई पद नहीं बनाएंगे। स. माधोपुर के डेकवा पद गायन पार्टी के हरिकेश मीणा ने कहा कि जिले में डेढ़ सौ पद गायन पार्टियां हैं। अब गायकी के वीडियो सोशल मीडिया पर डाल रहे हैं।
गायन की कई विधाएं प्रचलित
कन्हैया पद दंगल: लगभग ६० लोगों का दल पौराणिक कथाएं गाता है। नौबत व घेरा वाद्ययंत्र के साथ 20 कलाकार गाते हैं, शेष कलाकार पुनरावृत्ति करते हैं।

पद दंगल : मुख्य गायक मंच पर पद गाता है। आठ-दस लोग नीचे बैठते हैं, जो ढफ-मंजीरे के साथ पदों की पुनरावृत्ति करते हैं।
हरिकीर्तन दंगल : दस-बारह लोग आगे खड़े होकर गाते हैं। इतने ही लोग नीचे हारमोनियम, ढोलक, तबले, मंजीरे के साथ बैठते हैं।

सुड्डा दंगल : एक गाता है, तीन जने बैठकर ढोलक-मंजीरे बजाते हैं। सुड्डा दंगल महिलाएं भी गाती हैं।
हैला ख्याल : कई दल होते हैं। एक दल में 40-50 लोग होते हैं। ये देवी-देवताओं की कथा गाते हैं।

ढांचा गीत : गंगापुरसिटी, दौसा, बामनवास व जयपुर के आसपास यह गायन होता है। इन्हें टुकड़ों में गाते हैं। यह देवी-देवताओं की कथाओं पर आधारित होता है।
रामरसिया : रसिया गायन होता है। इनमें दो जने खड़े होकर गाते हैं। दस लोग नीचे गोल घेरा बनाकर पुनरावृत्ति करते हैं।

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