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खूबसूरत वादियों में ऐसे पहुंच रहा है पर्यावरण का खतरा

locationजयपुरPublished: Jul 21, 2019 04:11:51 pm

Submitted by:

pushpesh

-शिमला में 2018 में गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ा, जबकि सूर्य मंदिर के लिए प्रसिद्ध माउंट आबू में अनियंत्रित पर्यटन टै्रफिक के चलते 2009 में पर्यावरणीय संवेदनशील क्षेत्र माना गया था।

हिल स्टेशन बड़े पारिस्थितिक संकटों से जूझ रहे हैं

खूबसूरत वादियों में ऐसे पहुंच रहा है पर्यावरण का खतरा

जयपुर.

छुट्टियां बिताने के लिए भारत में कई ऐसे पर्वतीय टूरिस्ट स्पॉट हैं, जो औपनिवेशिक विरासत कहे जा सकते हैं। ये 19वीं सदी में तब बनाए गए थे, जब गर्मी से परेशान अंग्रेजों ने ठंडी जलवायु की तलाश की। अंग्रेजों ने कई दूर दराज की भारतीय बस्तियों में ऐसे पर्यटन स्थल स्थापित किए। ऐसे पर्यटन स्थलों ने अंग्रेजों को राहत तो दी, लेकिन प्राकृतिक हवा और पर्यावरण महज पर्यटन और मनोरंजन के लिए बन गया। यदि आप गर्मियों में भारत का दौरा करने का विचार कर रहे है तो पहाडिय़ों पर घूमना, दौडऩा आज भी मैदानी इलाकों से बेहतर है। लेकिन अब ये स्पॉट शांत और मनभावन नहीं हैं। उत्तर भारत में शिमला, पूर्व में दार्जिलिंग, पश्चिम में माउंट आबू और दक्षिण में ऊटी प्रमुख पर्वतीय पर्यटन स्थलों में से हैं। यहां पर्यटन उद्योग ने ही इन स्थानों को अधिक नुकसान पहुंचाया है। कई महत्वपूर्ण हिल स्टेशन बड़े पारिस्थितिक संकटों से जूझ रहे हैं। इसके बजाय मेघालय को चेरापूंजी, कर्नाटक में चिकमगलूर, महाराष्ट्र का माथेरन और उत्तराखंड का मुक्तेश्वर बेहतर विकल्प हो सकते हैं ये प्रकृति के ज्यादा करीब हैं।
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