scriptविधानसभा में तर्क होने चाहिए, मनभेद नहीं— गुलाब चंद कटारिया | There should be arguments in the assembly, not differences- kataria | Patrika News

विधानसभा में तर्क होने चाहिए, मनभेद नहीं— गुलाब चंद कटारिया

locationजयपुरPublished: Mar 21, 2023 01:05:45 pm

 
असम के राज्यपाल कटारिया का अभिनंदन और श्रेष्ठ विधायकों का सम्मान

विधानसभा में तर्क होने चाहिए, मनभेद नहीं— गुलाब चंद कटारिया

विधानसभा में तर्क होने चाहिए, मनभेद नहीं— गुलाब चंद कटारिया

जयपुर. असम के राज्यपाल गुलाब चन्द कटारिया ने कहा कि सदन में तर्क होने चाहिए मनभेद नहीं, अन्यथा लोकतंत्र कमजोर होगा। उन्होंने सदन के पुराने दिन याद करते हुए कहा कि भैरोसिंह शेखावत और हरिदेव जोशी को सदन में देखकर लगता था भिड़ जाएंगे और बाहर आते ही दोनों साथ में चाय पीते थे, लेकिन आज तो पढ़ने की आदत ही कम हो गई है। कटारिया ने विधानसभा में राष्ट्रमंडल संसदीय संघ की राजस्थान शाखा की ओर से आयोजित ‘प्रभावी एवं सार्थक लोकतंत्र को बढ़ावा देने में विधानमंडल की भूमिका’ विषयक सेमिनार को सम्बोधित किया। इस अवसर पर विधानसभा ने कटारिया का राज्यपाल बनने पर अभिनंदन किया, वहीं वर्ष 2022 के लिए शिव विधायक अमीन खां व वर्ष 2023 के लिए अजमेर दक्षिण विधायक अनीता भदेल का सर्वश्रेष्ठ विधायक के रूप में सम्मान किया।
कटारिया के प्रमोशन का आग्रह कर रहा था: सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि चार साल से कटारिया के प्रमोशन का आग्रह कर रहा था, आखिर प्रधानमंत्री ने बात मान ली उनको धन्यवाद। उन्होंने संसद के माहौल का जिक्र करते हुए कहा कि आज संसद में क्या हो रहा है, इस पर बात नहीं कहूंगा क्योंकि यह अवसर नहीं है। विस अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी ने कहा कि विधानमंडल अपनी भूमिका का निर्वहन नहीं करते हैं तो लोकतंत्र कमजोर होता है और उसी से असंतोष पैदा होता है। संसदीय कार्य मंत्री शांति कुमार धारीवाल, उप नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने भी विचार व्यक्त किए।
अब तक के विधायकों की कुंडली: कार्यक्रम में ‘हमारे विधायक’ सॉफ्टवेयर का विमोचन किया गया। इसमें पहली विधानसभा से अब तक के सभी विधायकों, विस की समितियों, मंत्रिमंडल, क्रियाकलापों सहित विभिन्न प्रकार की जानकारियां हैं, जो विधानसभा की वेबसाइट के माध्यम से उपलब्ध हो सकेंगी।
… फिर भी सबकुछ सही
कटारिया ने कहा कि सदन जितना अधिक चलेगा, जनता की बात उतने ही अच्छे तरीके से हो पाएगी। लोकतंत्र को सार्थक बनाने का काम सदन कर सकता है। केन्द्र व राज्य में अलग-अलग विचारधारा की सरकार होती है, फिर भी लोकतंत्र सही चलता है। इसका मतलब कुछ तो खास है।
दे रहे जातिवाद को हवा: लोढ़ा
राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (राजस्थान शाखा) के सचिव संयम लोढ़ा ने कहा कि पिछले दिनों जयपुर में सम्मेलन हुए, जिनमें जाकर पार्टी अध्यक्ष और संविधान की शपथ लेने के बावजूद मंत्री ने जाति को पार्टी से ऊपर होने की बात कही। उन्होंने इस ओर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया का ध्यान दिलाते हुए कहा कि जातिवाद का बढ़ावा देने की बात करके हम लोकतंत्र को कमजोर ही करेंगे। इस स्थिति पर नियंत्रण कर जातिविहीन समाज की स्थापना के प्रयास किए जाने चाहिए।

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