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जयपुर

ये भी अदालत का हिस्सा हैं…भूल गए जूनियर और मुंशियों को

ये भी अदालत का हिस्सा हैं…भूल गए जूनियर और मुंशियों को

जयपुरJun 26, 2020 / 08:45 pm

KAMLESH AGARWAL

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High court bench will determine interim fees

जयपुर।

वकीलों को अदालत का हिस्सा माना जाता है लेकिन लॉकडाउन के दौरान जूनियर अधिवक्ता और मुंशियों का सभी ने भूला दिया। जरूरतमंद जूनियर अधिवक्ताओं बार काउंसिल ने एक मुश्त पांच हजार रूपए देने का फैसला किया लेकिन यह सहायता भी अब तक पूरे प्रदेश में करीबन दो हजार वकीलों तक ही पहुंची है और मुंशियों को तो सभी ने भूला ही दिया।
राजस्थान में करीबन 85 हजार अधिवक्ता है जिनमें से करीबन 25 हजार जूनियर अधिवक्ता है। जूनियर अधिवक्ता वो हैं जो निजी वकालत नहीं कर रहें या फिर डिग्री लेने के बाद सीख रहे हैं। लॉकडाउन से पहले तक वकील ऐसे जूनियर अधिवक्ता को मासिक खर्च के नाम पर कुछ राशि दिया करते थे। एक अनुमान के अनुसार प्रदेश में ऐसे अधिवक्ताओं की संख्या करीबन करीबन 25 हजार है जो निजी प्रैक्टिस नहीं करते हुए दूसरे अधिवक्ताओं के जुड़े हुए हैं। राजस्थान बार काउंसिल के कुछ सदस्यों ने 13 हजार वकीलों को पांच से आठ हजार रुपए मासिक देने का प्रस्ताव बनाया। लेकिन इसके बाद यह राशि कम होकर छह हजार वकीलों तक सीमित हो गई इसमें भी अब तक केवल दो हजार वकीलों को पांच पांच हजार रुपए दिए गए हैं। जूनियर अधिवक्ता योगेश टेलर ने बताया सीनियर अधिवक्ताओं ने कुछ मदद जरूर की लेकिन जूनियर्स की स्थिति बेहतर नहीं है। अब तक बार काउंसिल से भी पांच हजार रुपए नहीं मिले हैं।
तीन महीनों से सुनवाई बाधित

प्रदेश की अदालतों में 22 मार्च से सुनवाई बाधित है केवल आवश्यक मामलों की वीडियो कान्फ्रेसिंग के जरिए सुनवाइ चल रही है। ऐसे में दूर दराज के अधिवक्ता अपने गांव चले गए हैं लेकिन उनको आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है।

आठ हजार से ज्यादा मामले सुने
उच्च न्यायालय में 12 जून तक आवश्यक प्रकृति के मामलों की सुनवाई वीडियो कॉलिंग से हो रही है। इसके बाद दो सप्ताह ग्रीष्मावकाश रहा अब सोमवार से नियमित सुनवाई शुरू होगी। निचली अदालतों में पूरी तरह से काम एक अगस्त से शुरू होगा।
मुंशियों की हालात बेकार
राजस्थान उच्च न्यायालय में करीबन तीन सौ मुंशी रजिस्ट्रर है वहीं करीबन दो सौ लोग वकीलों से जुड़े हुए है इनको लॉकडाउन में कुछ सीनियर एडवोकेट ने राशन का सामान जरूर दिया लेकिन आर्थिक मदद नहीं दी। ऐसे में मुंशियों की आर्थिक स्थिति खराब है। ऐसे में कुछ मुंशी तो दूसरे काम भी कर रहे हैं।
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