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इन पेड़ों ने एेसे बयां की अपनी दास्तान, सुनकर आप भी हो उठेंगे भाव विभोर

locationजयपुरPublished: Jun 30, 2018 05:01:03 pm

Submitted by:

Veejay Chaudhary

भले ही पहचान में न आऊं, लेकिन लगता है जिंदगी चल निकलेगी

jaipur

इन पेड़ों ने एेसे बयां की अपनी दास्तान, सुनकर आप भी हो उठेंगे भाव विभोर

जयपुर. कई सौ साल तक परकोटे की आबोहवा को खुशनुमा बनाने के साथ ही लोगों के सुख-दुख के गवाह रहे चार बरगद आज वहां नहीं हैं। उनकी जमीन पर मेट्रो ट्रेन चलेगी, इसलिए उन्हें उखाड़कर नाहरगढ़ स्थित बायोलॉजिकल पार्क में लगा दिया है। आज ये पेड़ जहां हैं, वहां वैसी शान तो नहीं है, लेकिन लोगों की यादें जुड़ी हैं। पेड़ों ने एेसे बयां की अपनी दास्तान..!
हमें याद आती है..
मुझे परकोटा में बिताया हुआ हर पल आज भी याद आता है। जब चौपड़ों से हटाया गया तो लग रहा था कि मेरा हश्र पुराने साथियों जैसा न हो, लेकिन हमारी किस्मत अच्छी थी। जगह जरूर बदल गई, लेकिन मैं जिंदा हूं। अपनों का साथ तो छूट गया, पर कुछ अपने बन गए। इनके साथ रहने से समय गुजर जाता है।
शहर की बसावट के समय से ही मेरा यहां के लोगों से नाता रहा। जब भी कोई मजदूर मेहनत करके थक जाता तो मेरी छांव में आकर घंटों आराम कर लेता। कई लोगों को मैं तो पहचान लेता हूं, लेकिन वो शायद ही हमें पहचान पाते होंगे।
खैर, फिलहाल यहां तीन नए दोस्त मिले हैं, उनके साथ समय बिताना अच्छा लगता है। वहां पर बच्चे जब मां के साथ खड़े होकर बस का इंतजार करते तो बच्चों की मुस्कुराहट मुझे सुकून देती थी। वैसा माहौल यहां तो नहीं है। हां, इतना जरूर है कि शनिवार और रविवार को मुझे खुश होने का मौका मिलता है।
हम सभी को बचाने के लिए मेट्रो प्रशासन ने काफी प्रयास किए। मेरी मिट्टी नई जगह पर साथ लेकर आए। हम सभी शायद इसी वजह से बच पाए। हम में से नई कोपलें भी निकलने लगी हैं और अब बारिश शुरू होने से जीने की आस भी जागने लगी है।

हटाने की तारीख और वजन
बड़ी चौपड़:
9 फरवरी —12 टन
13 फरवरी —16 टन
16 फरवरी —34 टन

छोटी चौपड़:
28 मार्च —14 टन
(उखाड़कर पत्ते छांटने के बाद का वजन)

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