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जयपुर

प्रदेश में हार्ट ट्रांसप्लांट की तीसरी वर्षगांठ

प्रदेश में हार्ट ट्रांसप्लांट की तीसरी वर्षगांठ

जयपुरAug 02, 2018 / 07:56 pm

Anil Chauchan

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जयपुर .
राजस्थान आज हार्ट ट्रांसप्लांट की तीसरी वर्षगांठ बना रहा है। आज से तीन साल पहले महात्मा गांधी अस्पताल में सूरजभान के पहला हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया था। सूरजभान को राजू लुहार का हार्ट लगाया गया था। इसके बाद राज्य में तीन और हार्ट ट्रांसप्लांट हो चुके हैं।
इस अवसर पर सूरजभान ने कहा कि वह राजूलुहार की जिंदगी जी रहा है। डॉक्टर भी उसके लिए भगवान साबित हुए हैं। हार्ट ट्रांसप्लांट के बाद वह पूरी तरह स्वस्थ्य है और गांव में खेती करता है। इस मौके पर हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. बलराम एरन ने कहा कि देश में हार्ट ट्रांसप्लांट को लेकर धीरे-धीरे जागरुकता आ रही है। दुनिया में सबसे ज्यादा स्पेन में अंगदान का चलन है। वहां कुल आबादी की ३५ प्रतिशत लोग अंगदान करते हैं। एक व्यक्ति मरने के बाद अपने शरीर के दस अंगों को दान कर सकता है। दुनिया में हार्ट ट्रांसप्लांट के बाद एक व्यक्ति २५ साल तक जिवित रहा। भारत में पहला हार्ट ट्रांसप्लांट ३ अगस्त वर्ष १९९४ में हुआ था। आज प्रदेश में हार्ट ट्रांसप्लांट के तीन साल पूरे होने पर सूरजभान ने केक काटकर अपने दिन का तीसरा जन्मदिन मनाया।
महात्मा गांधी अस्पताल के चेयरमैन डॉ एमएल स्वर्णकार ने बताया कि अस्पताल में 13 ब्रेन डेड रोगियों के जरिए 44 अंगदान हुए हैं। इसके अलावा अस्पताल में राज्य का पहला कैडेवर अंगदान, पहला कैडेवर किडनी प्रत्यारोपण, पहला हार्ट ट्रासंप्लांट, लीवर ट्रांसप्लांट, लंग्स ट्रांसप्लांट और पेन्क्रियास ट्रांसप्लांट किया जा चुका है।
खुद को तीन साल का मानते हैं सूरजभान -:
पहला ट्रांसप्लांट कराने वाले सूरजभान भले ही 35 साल के हो गए हैं, लेकिन वे खुद को तीन साल का ही मानते है। तीन साल पहले राजू नाम के व्यक्ति का उन्हें हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया था। हनुमानगढ निवासी सूरजभान का कहना है कि इससे मुझे न केवल नया जीवनदान मिला है, बल्कि अब लोगों को अंगदान के लिए प्रेरित भी करता हूं। इस दौरान सूरजभान ने अपनी जिंदगी जुडे अनुभव साझा किए।

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