न्यायिक कर्मचारियों का आंदोलन हो सकता है खत्म, तीसरे दौर में बनी सहमति
जोशी ने बताया कि गुरूवार को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के साथ उनकी कई दौर की वार्ता हुई थी। इस दौरान हाईकोर्ट प्रशासन भी मौजूद था और इस वार्ता में एफआईआर दर्ज कराने पर सहमति बनी थी। साथ ही कर्मचारियों ने हाईकोर्ट प्रशासन को आश्वस्त किया था कि एफआईआर की कॉपी मिलते ही वे आंदोलन खत्म कर देंगे। लेकिन, शुक्रवार को दिनभर कर्मचारियों के प्रतिनिधिमंडल के साथ ही मृतक सुभाष मेहरा के परिजन भांकरोटा थाने से लेकर कमिश्नरेट के चक्कर काटते रहे। शाम तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई है। जोशी ने कहा कि राज्य सरकार यह दावा करती है कि कोई भी व्यक्ति किसी के भी खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा सकता है, जबकि राजधानी में कर्मचारियों को केवल एफआईआर दर्ज करवाने के लिए आंदोलन करना पड़ रहा है।राजस्थान हाईकोर्ट की मुख्यपीठ जोधपुर में गुरूवार को तीन दौर की वार्ताओं के बाद कर्मचारियों की मांगों पर सहमति बनी थी। इसमें पहला मुद्दा एफआईआर दर्ज करवाने का था। जिस पर हाईकोर्ट प्रशासन ने सहमति दे दी। वहीं, मृत कर्मचारी के आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति देने पर भी सहमति बनी थी। साथ ही 50 लाख रूपए का मुआवजा सरकार से दिलवाने की प्रक्रिया शुरू करने की बात कही गई।
बता दें कि जयपुर की अधीनस्थ अदालतों में 18 नवंबर से सामूहिक कार्य बहिष्कार चल रहा है। यहां पर रोजाना करीब 15 से 18 हजार केस की सुनवाई प्रभावित हो रही थी। जबकि तीन दिन से प्रदेशव्यापी हड़ताल के कारण करीब डेढ़ लाख मुकदमों की रोजाना सुनवाई नहीं हो पा रही है। ऐसे में कोर्ट में पेंडेंसी भी बढ़ती ही जा रही है।