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प्रदूषण को जवाब देंगे, सद्भाव बढ़ाएंगे पटाखे

locationजयपुरPublished: Nov 07, 2018 04:55:21 pm

Submitted by:

Rajkumar Sharma

इस बार दिवाली को खास बनाने के लिए शहर के मुस्लिम परिवारों ने ग्रीन पटाखे तैयार किए हैं। इनसे प्रदूषण कम होगा और स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिला है।

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प्रदूषण को जवाब देंगे, सद्भाव बढ़ाएंगे पटाखे

जयपुर. दिवाली पर इस बार पटाखे सद्भाव का संदेश तो देंगे ही, प्रदूषण को भी मुंहतोड़ जवाब देंगे। शहर में बड़ी संख्या में मुस्लिम परिवार महीनों से पटाखे बनाने में जुटे हैं, जिन्होंने ध्वनि-वायु प्रदूषण के मद्देनजर बड़े पैमाने पर ग्रीन पटाखे तैयार किए हैं।
ये पटाखे हर्बल और खनिज से तैयार किए गए हैं, जो रोशनी के पर्व दीपावली को खास बनाएंगे। चांदी की टकसाल निवासी जहीर जई और उनके परिजन वर्षों से पटाखे बनाते रहे हैं। एसोसिएशन ऑफ फायर वक्र्स से जुड़े जहीर ने बताया, इस पर्व की तैयारी के लिए सालभर काम करते हैं। करीब २००० लोगों को इससे रोजगार भी मिला है। उन्होंने बताया कि उनका परिवार सात पीढिय़ों से यह काम कर रहा है। पटाखों के साथ वे होली के लिए रंग-गुलाल भी बनाते हैं। उनका मानना है, नई पीढ़ी पुश्तैनी काम जारी रखे।
इसलिए हैं खास
जहीर जई ने बताया कि ग्रीन पटाखों में खनिज, नमक, पेड़ों की छाल, कोयला, फलों के रस और हर्बल का इस्तेमाल किया गया है। इससे रंग तो चटख दिखेंगे लेकिन प्रदूषण अधिक नहीं फैलेगा। इससे सेहत को भी नुकसान नहीं होगा। इनमें अनार, फुलझडिय़ां, झरने, पेंसिल, हवाइयां, चकरियां आदि पटाखे शामिल हैं।
कई जगह बन रहे ग्रीन पटाखे
गुलाबीनगर में हर्बल और खनिज पदार्थों से पटाखे रामगढ़ रोड स्थित चैनपुरा सहित अन्य स्थानों पर बनाए जा रहे हैं। ग्रीन पटाखे राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) की खोज हैं। ये दिखने, जलाने और आवाज़ में सामान्य पटाखों की तरह होते हैं। इन पटाखों में आवाज और धुआं कम होता है। लेकिन रोशनी ज्यादा होती है और अधिक समय तक रंगों की चमक बिखरती है। ऐसे में इनका लुत्फ उठाना फायदेमंद है।
प्रमुख ग्रीन पटाखे
नीरी के मुताबिक फिलहाल तीन तरह के ग्रीन पटाखे बनाए जा रहे हैं। इनमें से पहले वाले पटाखे जलने के साथ पानी पैदा करते हैं जिससे सल्फ़र और नाइट्रोजन जैसी हानिकारक गैसें इन्हीं में घुल जाती हैं। दूसरी तरह के ग्रीन पटाखे स्टार क्रैकर हैं। ये सामान्य से कम सल्फ़र और नाइट्रोजन पैदा करते हैं व इनमें एल्युमिनियम का इस्तेमाल कम से कम किया जाता है। तीसरी तरह के पटाखे कम प्रदूषण के साथ-साथ खुशबू भी पैदा करते हैं।

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