नीरी के मुताबिक फिलहाल तीन तरह के ग्रीन पटाखे बनाए जा रहे हैं। इनमें से पहले वाले पटाखे जलने के साथ पानी पैदा करते हैं जिससे सल्फ़र और नाइट्रोजन जैसी हानिकारक गैसें इन्हीं में घुल जाती हैं। दूसरी तरह के ग्रीन पटाखे स्टार क्रैकर हैं। ये सामान्य से कम सल्फ़र और नाइट्रोजन पैदा करते हैं व इनमें एल्युमिनियम का इस्तेमाल कम से कम किया जाता है। तीसरी तरह के पटाखे कम प्रदूषण के साथ-साथ खुशबू भी पैदा करते हैं।