scriptkarva chauth special: कुछ अलग है इन महिलाओं का करवा चौथ… आप सोच भी नहीं सकते | This is how women behind bars are celebrating Karva chauth. | Patrika News

karva chauth special: कुछ अलग है इन महिलाओं का करवा चौथ… आप सोच भी नहीं सकते

locationजयपुरPublished: Oct 24, 2021 12:34:55 pm

Submitted by:

JAYANT SHARMA

सलाखों के पीछे का करवाचौथ इस बार भी अनोखा है।

jail.jpg

जयपुर
आज करवाचौथ देश और दुनियां में अलग-अलग रीत-रिवाज से मनाया जा रहा है लेकिन इस बीच प्रदेश की जेलों में बंद महिला और पुरुष बंदियों के लिए यह दिन और ज्यादा अहम है। जेल प्रशासन का दावा है कि कोरोना काल के दौरान आने वाले इस त्योंहार पर भी पिछले त्योंहारों की तरह ही महिला बंदियों को सुविधा दी गई है। लेकिन पुरष बंदियों के लिए पत्नी से मुलाकात की किसी तरह की कोई रियायत नहीं दी गई हैं सलाखों के पीछे का करवाचौथ इस बार भी अनोखा ही है।
महिला बंदियों के जीवन में रंग भरेगा आज का दिन, रंगोली और सजावट का दौर
महिलाओं के लिए आज का दिन विशेष है फिर चाहे वे किसी भी केस में बंदी ही क्यों नहीं हो। यही कारण है कि आज प्रदेश की सात महिला बंदी जेलों में विशेष रियायतें दी जा रही है सुआगिन महिला बंदियों को। आज के दिन का पूरे साल महिला बंदियों को इसलिए भी इंतजार रहता है क्योंकि आज का दिन उनके लिए रंग लेकर आता है। साल के पूरे 364 दिनों में महिला बदियों को सलाखों के पीछे सफेद रंग के कपडे पहनने होंते हैं लेकिन आज वे सोलह श्रृगांर कर अपनी पसंद के रंगीन कपडे पहनती हैं। जेल में रंगोली सजाई जाती है और शाम के समय फिल्मी गानों और गीतों पर कार्यक्रम होते हैं। सब पर जेल प्रशासन की नजर होती है। जयपुर महिला जेल समेत प्रदेश में सात और महिला बंदी जेल हैं जो कि सेंट्रल जेलों के अंडर में आती हैं। इन जेलों में करीब पांच सौ से भी ज्यादा मंहिला बंदी बंद हैं।
सलाखों के पीछे बंद पतियों से मुलाकात की पत्नियों को अनुमति नहीं
प्रदेश की सौ से भी ज्यादा जेलों में करीब बीस हजार बंदी बंद हैं। इनमें से करीब सत्तर फीसदी से भी ज्यादा शादीशुदा हैं लेकिन किसी न किसी कारण से जेल में बंद हैं। ऐसे बंदियों के लिए इस बार भी कोई विशेष बंदोबस्त नहीं किया गया है। बल्कि इस बार तो वे इंतजाम भी नहीं किए गए हैं जो पहले किए जाते रहे हैं। पहले बंदी मुलाकात क नियमों का पालन कर अपनी पत्नी या परिवार के लोगों से मिल सकता था लेकिन कोरोना के बाद मुलाकात का जो सिलसिला बंद किया गया वह अभी तक शुरु नहीं किया गया है। दो साल से तो जेल में राखी और भाईदूज पर्व भी नहीं मनाया जा रहा है।
पीसीओ और वीसी की आज सबसे ज्यादा डिमांड, साल की सबसे लंबी लिस्ट आज
बंदियों और परिजनों के बीच मुलाकात का सिस्टम कुछ समय से बदल दिया गया है। वीडियो कॉफ्रंेस और पीसीओ के जरिए बंदियों को अपने परिजनों से कुछ समय के लिए हफ्ते में दो बार मुलाकात कराई जाती है। वीसी के जरिए मुलाकात और पीसीओ के जरिए बात कराई जाती है। जेल प्रशासन का कहना है कि पहली बार है कि इस दफा लगभग सभी बंदियों ने आज के दिन को चुना है अपने परिवार से बात करने के लिए। जेल प्रशासन की कोशिश भी यही है कि अधिक से अधिक बंदियों को अपने परिजनो ंसे बात करा दी जाए। हांलाकि प्रदेश की सेंट्रज जेलों और कुछ जिला जेलों में ही पीसीओ और वीसी की सुविधा है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो