जानकारी के अनुसार प्रदेश में 100 मिलियन क्यूबिक मीटर भराव क्षमता से ज्यादा के दस बड़े बांध है। बीते साल ये बांध अक्टूबर माह के अंत तक बारिश होने से लगातार भरते रहे और नवंबर से अब तक आठ महीनों में इन बांधों से सिंचाई और पेयजल जैसी आवश्यकताओं के लिए 40 फीसदी पानी ही खर्च हो सका है। बीते मानसून ये बांध 95 प्रतिशत तक भर गए थे।
जयपुर,टोंक और अजमेर की प्यास बुझाने वाला बीसलपुर बांध 63 प्रतिशत तक भरा है। बीते साल बांध दो बार ओवरफलो हुआ और इतना पानी व्यर्थ बह गया जितने पानी से दो बार बीसलपुर को भरा जा सकता था। इस बार यह तय कि थोड़ी सी बारिश के बाद ही पानी की आवक से बांध ओवरफलो हो जाएगा। लिहाजा बीसलपुर ओवर फलो होता है व्यर्थ बहने वाले पानी को जल संसाधन विभाग रोक नहीं सकेगा।
कोटा बैराज (कोटा) 97%
राना प्रताप सागर (चित्ताैड़गढ़) 72.81%
जयसमंद (उदयपुर) 72%
सोम कमला अंबा बांध (डूंगरपुर) 68%
माही बजाज सागर (बांसवाड़ा) 44.33%
बीसलपुर बांध (टोंक) 63%
जाखम बांध (प्रतापगढ़) 32%
राजसमंद (राजसमंद) 18%
जवाई बांध (पाली) 20%
पार्वती बांध (धौलपुर) 11%
उधर जलदाय विभाग के अफसरों का कहना है कि बांध छोटा हो या बढ़ा इसे बनाने के फार्मूले तय हैं। ऐसे में बांधों के ओवरफ्रलो होने के बाद पानी तो बहेगा। इस पानी से प्रदेश की अन्य नदियां,कुए,तालाब और हैंडपंप रिर्चाज भी होते हैं।
माही बजाज सागर (बांसवाड़ा) 44.33%
बीसलपुर बांध (टोंक) 63%
जयसमंद (उदयपुर) 72%
जवाई बांध (पाली) 20%
सोम कमला अंबा बांध (डूंगरपुर) 68%
जाखम बांध (प्रतापगढ़) 32%
पार्वती बांध (धौलपुर) 11%
कोटा बैराज (कोटा) 97%
राजसमंद (राजसमंद) 18%