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इस बार ग्राम पंचायत स्तर पर पाठ्यपुस्तकों का वितरण

locationजयपुरPublished: Jun 26, 2022 11:05:53 pm

Submitted by:

Rakhi Hajela

एक जुलाई से राजधानी जयपुर सहित राजस्थान के सभी सरकारी स्कूल शुरू हो जाएंगे। स्कूल खुलने पर स्टूडेंट्स को बिना किताबें नहीं बैठना पड़े इसके लिए राजस्थान राज्य पाठ्य पुस्तक मंडल कवायद कर रहा है।

इस बार ग्राम पंचायत स्तर पर पाठ्यपुस्तकों का वितरण

इस बार ग्राम पंचायत स्तर पर पाठ्यपुस्तकों का वितरण

इस बार ग्राम पंचायत स्तर पर पाठ्यपुस्तकों का वितरण
एक जुलाई से बच्चे पहुंचेेगे स्कूल
जयपुर
एक जुलाई से राजधानी जयपुर सहित राजस्थान के सभी सरकारी स्कूल शुरू हो जाएंगे। स्कूल खुलने पर स्टूडेंट्स को बिना किताबें नहीं बैठना पड़े इसके लिए राजस्थान राज्य पाठ्य पुस्तक मंडल कवायद कर रहा है। प्रदेश में तकरीबन साढ़े चार करोड़ पुस्तकों का वितरण का काम दिन रात जारी है। यहां तक कि सरकारी अवकाश के दिन जब सभी कार्यालय बंद होते हैं पाठ्य पुस्तक मंडल में कार्मिक पुस्तक वितरण का काम कर रहे हैं। पुस्तकें पहुंचाने का काम भी इस बार पाठ्य पुस्तक को ही दिया गया है। पुस्तक मंडल अपने परिवहन के जरिए पुस्तकें पहुंचाने का काम कर रहा है।
नोडल केंद्रवार रूट चार्ट घोषित
सरकारी स्कूलों में अध्ययन करने वाले विद्याथियों को निशुल्क पुस्तकें वितरण के लिए नोडल केन्द्रवार रूट चार्ज घोषित कर दिया है। पुस्तकों का वितरण शाला दर्पण पोर्टल के माध्यम से किया जाएगा। पुस्तक वितरण का पहला चरण एक जून से 10 जून तक था जबकि दूसरा चरण वर्तमान में चल रहा है। इस बार पाठ्य पुस्तकों का वितरण ग्राम पंचायत स्तरपर किया जा रहा है। इससे पूव यह काम पीईईओ स्तर पर किया जा रहा था।
50 फीसदी पुस्तकों का होगा वितरण
शैक्षणिक सत्र 2021-22 के अध्ययन के बाद मार्कशीट वितरण के साथ ही इस सत्र में वितरित निशुल्क पाठ्यपुस्तकों को प्राप्त कर बुक बैंक में जमा करवाना होगा। वहीं राजकीय विद्यालयों के कक्षा 1 से 3 के समस्त विद्यार्थियों को शतण्प्रतिशत नई निशुल्क पुस्तकों को वितरण करने के निर्देश जारी किए गए है। वहीं कक्षा 4 से 12वीं तक के विद्यार्थियों को 50 फीसदी नई तथा 50 फीसदी पुरानी पुस्तकों का वितरण किया जा रहा है।
सालभर चलता है पुस्तक वितरण कार्य
पाठ्यपुस्तक मंडल की ओर से पुस्तकों का वितरण का काम पूरे साल चलता है। शिक्षा विभाग की ओर से भेजी गई डिमांड के मुताबिक पाठ्य पुस्तक प्रिंट करवाई जाती है। विभाग हर साल तकरीबन पूर्व वर्ष की तुलना में 10 फीसदी अधिक किताबों की डिमांड भेजता है लेकिन नामांकन अनुमान से अधिक होने पर विद्यार्थियों को पाठ्यपुस्तकें समय पर नहीं मिल पाती।
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