जयपुर

राजस्थान उच्च न्यायालय के तीन बड़े फैसले

टीएसपी सामान्य श्रेणी के सभी पद नहीं भरने पर मांगा जवाब
चिकित्सा अधिकारी भर्ती-2020 के पदस्थापन में गड़बड़ी पर उच्च न्यायालय ने मांगा जवाब
पदोन्नति के बाद पदस्थापन नहीं करने पर उच्च न्यायालय ने मांगा जवाब

जयपुरJun 03, 2020 / 10:56 pm

KAMLESH AGARWAL

जयपुर
जेल प्रहरी भर्ती-2018 में टीएसपी एरिया के लिए सुरक्षित पदों को पूरा नहीं भरने पर राजस्थान उच्च न्यायालय ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इसी के साथ न्यायालय ने याचिकाकर्ता के पद सुरक्षित रखने का निर्देश भी दिया है। महेन्द्र सिंह राठौड़ ने याचिका दायर कर कहा कि भर्ती में टीएसपी एरिया के सामान्य श्रेणी के चार पद थे। लेकिन अंतिम परिणाम में तीन पदों का परिणाम घोषित किया। पुलिस विभाग से आरटीआई में बताया कि एरिया में सामान्य श्रेणी महिला के लिए कोई पद आरक्षित नहीं रखा गया लेकिन फिर एक महिला का पद आरक्षित रख अंतिम परिणाम जारी किया है।

चिकित्सा अधिकारी भर्ती-2020 के पदस्थापन में गड़बड़ी पर उच्च न्यायालय ने मांगा जवाब

चिकित्सा अधिकारी भर्ती-2020 के पदस्थापन में गड़बड़ी का मामला राजस्थान उच्च न्यायालय पहुंच गया है। न्यायालय ने चिकित्सा सचिव सहित सात जिलों के सीएमएचओ से 11 जून तक जवाब मांगा है। डॉ. सुरेन्द्र यादव व अन्य ने राजस्थान उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। जिसमें कहा कि भर्ती में नव नियुक्त चिकित्सकों के पदस्थापन में अनिमितताएं हुई हैं। चिकित्सकों को उनकी रैंक के अनुसार पदस्थापित नहीं किया है। कम अंक वालों को जयपुर व अलवर जिलों में पदस्थापित किया गया है। जबकि अधिक अंक होने के बावजूद भी याचिकाकर्ताओं को 25 मार्च के आदेश से बांसवाड़ा, प्रतापगढ़,डूंगरपुर व सिराेही सहित अन्य जगहों पर पदस्थापित किया है। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता आरपी सैनी ने कहा कि चिकित्सकों का पदस्थान रेंक के अनुसार जिलों में होना चाहिए। जिस पर न्यायाधीश महेंद्र गोयल ने चिकित्सा विभाग को 11 जून तक जवाब पेश करने के आदेश दिए।
पदोन्नति के बाद पदस्थापन नहीं करने पर उच्च न्यायालय ने मांगा जवाब


पटवारी से गिरदावर के पद पर तीन साल पहले पदोन्नति देने के बाद भी पदस्थापन नहीं करने पर राजस्थान उच्च न्यायालय ने नोटिस जारी किया है। न्यायालय ने प्रमुख राजस्व सचिव, अजमेर संभागीय आयुक्त, टोंक जिला कलेक्टर सहित अन्य से 10 जून तक जवाब मांगा है। शंकरलाल खंगार व अन्य के अधिवक्ता लक्ष्मीकांत शर्मा ने बताया कि प्रार्थियों की नियुक्ति पटवारी के पद पर अक्टूबर 1993 में हुई थी। विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक के बाद 26 अप्रेल 2017 को भू अभिलेख निरीक्षक के पद पर पदोन्नति दे दी। लेकिन पदोन्नत किए गए पद पर उनका पदस्थापन नहीं किया। उनको अप्रैल 2017 से पदोन्नत पद पर पदस्थापन मानकर नायब तहसीलदार की सीनियरिटी में शामिल किया जाना चाहिए।

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