scriptतीन नए जीन… जो पौधों के लक्षणों को करते हैं नियंत्रित | Three new genes are controlle plants growth | Patrika News

तीन नए जीन… जो पौधों के लक्षणों को करते हैं नियंत्रित

locationजयपुरPublished: Oct 16, 2019 12:00:34 am

Submitted by:

Suresh Yadav

फल, सब्जी और अनाज की फसलों को विकसित करने में होगी आसानी नई तकनीक से किया जा सकता है पौधों के आकार और लम्बाई के आंकड़ों का विश्लेषण

तीन नए जीन... जो पौधों के लक्षणों को करते हैं नियंत्रित

तीन नए जीन… जो पौधों के लक्षणों को करते हैं नियंत्रित

जयपुर।

वैज्ञानिकों द्वारा किए गए नए शोध से अब यह जानना आसान होगा कि पौधों के लक्षणों को नियंत्रित करने वाले जीन कौनसे हैं। हाल ही में वैज्ञानिकों की ओर से अंतरराष्ट्रीय टीम ने एक नया दृष्टिकोण विकसित किया है। जिसके तहत पौधों को विकसित करने वाले जीन की पहचान आसान हो जाएगी।
गेटिंगन यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में किए गए शोध में दावा किया गया है कि जीन की पहचान होने से फल, सब्जी और अनाज की फसलों को विकसित करने में आसानी होगी। यह शोध बीएमसी प्लांट बायोलॉजी में प्रकाशित हुआ है। वैज्ञानिकों के अनुसार यह कहा जा सकता है कि यह नई विधि जीडब्ल्यूए (जेनोम वाइड एसोसिएशन) उपकरण का एक प्रकार से विस्तार है।
पौधों में जीन की जानकारी प्राप्त करने वाली इस तकनीक को मानव डीएनए के अध्ययन के आधार पर ही तैयार किया गया था। जिस प्रकार हर किसी के डीएनए के नमूने अलग-अलग होते हैं, उसी तरह से पौधों में माप के आधार पर जीन हो सकते हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार यह नई तकनीक पौधे के (आकार, लंबाई) के आंकड़ों का विश्लेषण करने वाली तकनीकों के साथ उनमें जीन, जीडब्ल्युए (जेनोम वाइड एसोसिएशन) का अध्ययन करने में मदद कर सकती है।
एक प्रयोग के तहत वैज्ञानिकों ने शुरुआती किस्म के सफेद मक्कों (व्हाइट कॉर्न) के चार खेत लगाए और उन पौधों की ऊंचाई मापी। उन्होंने मक्का जीनोम में संभावित 39,000 जीनों में से तीन जीनों की पहचान की, जो पौधे की ऊंचाई को नियंत्रित कर रहे थे। इन तीनों जीनों के प्रभाव को अन्य मक्का किस्मों पर पिछले अध्ययनों द्वारा सही बताया गया था। इससे पता चला कि उनका यह तरीका काम कर रहा था।
गेटिंगेन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर टिमोथी बिसिंगर का कहना है कि यह उन शोधकर्ताओं के लिए बहुत अच्छी खबर है, जो फसलों में जीन खोजने में रुचि रखते हैं। साथ ही उन पौधों के लिए लाभदायक है जिनका आनुवंशिक रूप से समान विकास नहीं होता।
बिसिंगर के अनुसार रोचक बात यह है कि इस अध्ययन के आधार पर अन्य खाद्य फसलों में शोध किया जा सकता है। यह एक सफलता है जो खाद्य फसलों में पोषण और स्थिरता को आगे बढ़ाने के लिए जीन की विशेषताओं को सस्ते और तेज़ी से पहचान करने में सक्षम होगी।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो