– इंद्रगढ़ से जैतपुर तक का रणथम्भौर का बफर जोन
– रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभयारण्य
– देवझर से भीमलत महादेव तक कालदां का वन क्षेत्र
– गरड़दा व भीलवाड़ा में बांका-भोपतपुरा के जंगल
– 20 मई 1982 को हुई थी स्थापना
– 307.40 वर्ग किमी था क्षेत्रफल
– जनवरी 2017 में अभयारण्य की नई सीमा निर्धारित
– 357.23 हैक्टेयर का बूंदी शहरी क्षेत्र हुआ था डिनोटिफाइड
– 248 वर्ग किमी है एरिया
एक्सपर्ट व्यू…
चंबल के दोनों किनारों (राजस्थान व मध्यप्रदेश) के जंगलों को जोडऩे के लिए 2010 में चंबल लैण्डस्केप प्लान के नाम से प्रस्ताव तैयार किया था। इसमें रणथम्भौर से चितौडगढ़ के भैंसरोडगढ़ अभयारण्य व एमपी के जंगलों को शामिल किया था। इस प्रस्ताव पर काम होगा तो इससे बाघों को पर्यावास के लिए अधिक क्षेत्र मिलेगा।
– आर.एन. मेहरोत्रा, पूर्व वन्यजीव प्रतिपालक।
राजस्थान के वन अधिकारियों के साथ बैठक हुई थी। इसमें रामगढ़ व अन्य कुछ जंगलों को जोड़कर एक नया टाइगर रिजर्व बनाने की चर्चा हुई थी। वन विभाग अभी इस पर काम कर रहा है।
– निशांत वर्मा, डीआईजी, एनटीसीए
– पृथ्वीसिंह राजावत, पूर्व मानद वन्य जीव प्रतिपालक, बूंदी