वन विभाग जिले में वन्य जीवों की प्रतिवर्ष गणना कराता है। वन्य क्षेत्र में कमी, बढ़ती आबादी, अवैध खनन, पर्यावरण में बदलाव के चलते साल दर साल कई वन्य जीवों की संख्या घटती जा रही है। कई प्रमुख वन्य जीव तो जिले से विलुप्त हो चुके हैं। बचे हुए वन्य जीवों पर भी जबरदस्त खतरा मंडरा रहा है। वन विभाग, पर्यावरण विशेषज्ञों, गैर सरकारी संगठनों और सरकार के प्रयास जारी है, लेकिन इसमें कामयाबी ज्यादा हासिल नहीं हुई है। वन विभाग ने इस बार भी 84 वाटर छेद पर गणना कराई है।
देशी-प्रवासी पक्षियों की स्थिति ठीक जिले में देशी-प्रवासी पक्षियों की स्थिति शाकाहारी-मांसाहारी वन्य जीवों की अपेक्षाकृत ठीक है। इनमें स्पून बिल, कॉमन टील, लिटल ग्रेबे, येलो वेगटेल, पाइड वेगटेल, नॉर्दन पिंटेल, इंडियन पॉड हेरोन, लिटिल स्टैंट, लिटिल ग्रीन हैरोन, व्हाइट थ्रोटेड किंगफिशर, पाइड एवोकेट, ब्लैक विंग स्टिल्ट, ग्रेड व्हाइट पेलिकन, लार्ज कैरोमेन्ट, स्मॉल केरोमेन्ट, इंडियन केरोमेन्ट, लौंग टेल्ड श्राइक, लार्ज ईग्रेट, इन्टर मिडिएट इग्रेट, लिटिल ईग्रेट, कॉमन सैंडपाइपर, पौंड हेरोन, येलो वैगटेल, ग्रे वैगटेल, सिटनिर वैगटेल, पाइड वैगटेल लिटिल ग्रेब और अन्य की संख्या 3 से 4 हजार तक है।
पैंथर को लेकर संशय उप वन संरक्षक सुनील चिद्री के अनुसार साल 2019 की गणना में राजगढ़ इलाके में शावक के साथ मादा पैंथर और कुंडाल में भी पैंथर को चिन्हित किया गया था। साल 2020 में पैंथर नजर नहीं आया । साल 2021 में चक्रवाती तूफान तौकाते-यास के असर के चलते वन्य जीव गणना नहीं कराई गई थी। इस साल अधिकृत रूप से पैंथर स्पॉट होने की सूचना नहीं है।