गणेशजी की प्रसन्नता के लिए चतुर्थी व्रत महीने में दो बार किया जाता है। कृष्णपक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि माघ महीने के शुक्लपक्ष की चतुर्थी यानि तिलकुंद चतुर्थी या वरद विनायक चतुर्थी व्रत में फलाहार करने की ही परंपरा है।
चतुर्थी के दिन सुबह स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें। इसके बाद गणेशजी का ध्यान करते हुए व्रत और पूजा का संकल्प लें। इस दिन मध्यान्ह में गणेश पूजा करें। गणेशजी के विग्रह या प्रतिमा पर सिंदूर लगाएं. उन्हें दूर्वा, फूल, फल, जनेऊ आदि के साथ ही नैवेद्य भी अर्पित करें। घी का दीपक जलाकर आरती करें। ऊँ गं गणपतयै नम: या किसी अन्य गणेश मंत्र का जाप करें।
ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर के अनुसार गणपति पूजा के बाद शाम को चंद्रमा दर्शन करें और उन्हें अर्घ्य अर्पित करें। फिर उपवास खोलें। इस दिन विधि-विधान से गणेशजी का व्रत रखकर पूजा करने से हर तरह के संकट दूर होते हैं और सुख प्राप्त होता है। भगवान गणेश की प्रसन्नता से जीवन में आने वाली रुकावटें दूर हो जाती हैं।