जयपुर

अब दौर डिजिटल इलाज, पीपीपी से जम्बो फैसिलिटी व डेली इम्युनिटी की आदत का है

कोरोनाकाल ने हमें जीवन से लेकर तकनीक, आत्मनिर्भरता और महामारी से निपटने को लेकर कई बड़े सबक दिए हैं। हाइजीन का खयाल, अपने दोस्तों से न मिल पाना, घरों में ही रहना, सबसे बड़ी वेदना रही बीमारी और अंतिम समय तक अपनों से दूरी। कोविड 19 ने हमें सिखाया है कि देश में ही उपलब्ध संसाधनों से ऐसे संकटकाल में पब्लिक, प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) को प्रभावी ढंग से अपनाकर व्यापक स्तर पर जम्बो फैसिलिटी जुटाई। यह कहना है मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर व सीईओ डॉ. संतोष शेट्टी

जयपुरDec 14, 2020 / 10:07 pm

Neeru Yadav

अब दौर डिजिटल इलाज, पीपीपी से जम्बो फैसिलिटी व डेली इम्युनिटी की आदत का है

कोविड १९ पूरी दुनिया के साथ हमारे देश के लिए भी नई बीमारी थी।
लेकिन सरकार ने समय रहते सरकारी व निजी अस्पतालों को जोड़ते हुए पीपीई किट, मेडिकल सुविधाओं की सीमित क्षमता, दवा आदि की उपलब्धता के बड़े स्तर पर प्रयास किए। हैल्थकेयर व इंडस्ट्री की पीपीपी की वजह से विकसित देशों के मुकाबले हमारे यहां मृत्युदर कम रही। मुंबई में कोविड सेंटर्स, डोर टू डोर टेस्टिंग की गई। सरकार व शहरी निकायों के प्रयासों से एक-दो महीने में ही हम स्थिति का मुकाबला करने में सक्षम हो पाए। यहां तक कि पीपीई व एन-95 मास्क का निर्यात भी करने लगे।
वे कहते हैं कि हैल्थकेयर में डॉक्टर्स, नर्स और पुलिस, बीएमसी जैसे शहरी निकायों व अन्य अत्यावश्यक सेवाओं से जुड़े फ्रंटलाइन वर्कर्स ने संक्रमण की परवाह किए बिना समन्वय के साथ बढिय़ा काम किया। इससे काफी हद तक मुकाबला किया जा सका। डॉ. शेट्टी कहते हैं कि टीके की दूसरी डोज से 3-4 हफ्ते में इम्युनिटी संभव है पर मास्क 2021 अक्टूबर से पहले न उतारें। नई बीमारी से मुकाबला तालमेल के साथ किए गए प्रयासों से ही किया जा सकता है। भारत में एक साल से कम समय में वैक्सीन तैयार होना भी इसी तरह की उपलब्धि है।
डिजिटल हैल्थ का नया युग शुरू
डॉ. शेट्टी कहते हैं कि कोरोनाकाल में डिजिटल हैल्थ के नए युग की शुरूआत हुई है। २०२१ में यह और भी अच्छे से लागू होगा और इसका फायदा डॉक्टर और मरीज दोनों को होने वाला है।
अब कोई बड़ी लहर नहीं
वे कहते हैं कि उम्मीद करते हैं कि कोरोना की अब कोई दूसरी बड़ी लहर नहीं आएगी। इस महामारी ने हमें एसआरटी स्टाइल ऑफ मैनेजमेंट सिखाया है। सर्वाइव यानी बीमारी से उबरना, रिवाइव यानी उबरने के बाद रिवाइव करना। जैसे, इतनी सारी इंडस्ट्री बीच में बंद हो गई थी। अब ये सर्वाइव से रिवाइव हो रही हैं। थ्राइव यानी इसे कैसे आगे बढ़ाना है। कोविड पर हम काफी नियंत्रण की स्थिति में हैं।
हमे तैयार रहना होगा
15-20 सालों से हमारा फोकस संक्रामक रोगों की जगह कैंसर, डायबिटीज, हृदय, न्यूरो जैसी जीवनशाली वाली बीमारियों पर हो गया था। टीबी, मलेरिया, फ्लू खत्म सी हो गई हैं। कोविड ने सिखाया है कि ये सब कभी भी बड़े स्तर पर वापस आ सकती हैं। आबादी का घनत्व ज्यादा होने से तेजी से फैलने का खतरा देखते हुए कोविड जैसे उपायोंके लिए तैयार रहना होगा। हालांकि जीवनशैली वाले रोगों में भी इलाज, मशीनों, चिकित्सकों, मेडिकल शिक्षा व रिसर्च सहयोग के लिए पीपीपी प्रयासों की जरूरत रहेगी। बुजुर्गो के लिए मानसिक वेदना का समय रहा है। उनकी मानसिक सेहत पर ज्यादा ध्यान देना होगा।
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