जयपुर, 6 मई कोरोना महामारी के चलते जरूरी संसाधनों की उपलब्धता की कमी और कालाबाजारी के चलते पूरे देश के उपभोक्ता त्रस्त हैं और लोगों में बड़ा आक्रोश है। यह स्थिति कंज्यूमर कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडिया की राष्ट्र स्तरीय वर्चुअल मीट से उभरकर सामने आई। मीटिंग का आयोजन सीसीआई के 21वें स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर किया गया था। इसकी अध्यक्षता करते हुए सीसीआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अनन्त शर्मा ने कहा कि यह समय व्यवस्था और प्रशासन के विरोध का नहीं है, बल्कि उपभोक्ता संगठनों को शासन.प्रशासन की मदद कर स्थितियों को सामान्य बनाने के लिए हर संभव योगदान करना चाहिए। डॉ. शर्मा ने कहा कि यह भविष्य के लिए सबक लेने और वर्तमान में मानवता की सहायतार्थ समर्पण के लिए आगे आने का समय है। उन्होंने कहा कि आग लगने पर तुरंत कुआं नहीं खोदा जा सकता लेकिन भविष्य में ऐसी परिस्थितियां किसी भी क्षेत्र में उत्पन्न न हो, उसके लिए कड़े कदम उठाने की जरुरत है। वर्चुअल मीटिंग में सेंट्रल काउंसिल ऑफ वीसी पीसीए नई दिल्ली के अध्यक्ष अरुण कुमार, उत्तरप्रदेश उपभोक्ता कल्याण परिषद् के प्रमुख सचिव केएस परमार, सीसीआई की प्रमुख महासचिव गुजरात की प्रीती पण्ड्या,अखिल भारतीय ग्राहक कल्याण परिषद् महाराष्ट्र के महासचिव देवेन्द्र तिवाड़ी, अखिल राजस्थान उपभोक्ता संगठन महासंघ के प्रमुख वीपी हलचल, ओडिशा उपभोक्ता महासंघ के सचिव गोविन्द ओझा, मध्यप्रदेश राज्य उपभोक्ता हैल्पलाइन की संचालक स्मिता सक्सेना, तेलंगाना उपभोक्ता संघ के वीरास्वामी,कर्नाटक के शीतल कुमार और आंध्रप्रदेश सीसीआई के अध्यक्ष गोविन्दा रेड्डी विशिष्ट वक्ता थे। सीसीआई देश के उपभोक्ता संगठनों का राष्ट्रीय परिसंघ है। इसकी स्थापना 6 मई को ही 2001 में नई दिल्ली में हुई थी। बैठक में लोगों को राहत के विभिन्न उपायों पर चर्चा हुई और केन्द्र व राज्य सरकारों के प्रयासों की समीक्षा की गई। इस अवसर पर कोरोना में लोगों की मदद कर रहे स्वैच्छिक संगठनों के प्रतिनिधियों को फ्रंटलाइन वर्कर के रूप में मान्यता की जरुरत भी बताई गई।