प्रदेश में शिक्षा को बढ़ावा देने सरकार निरंतर प्रयासरत है। पर ऐसे में कई इलाके ऐसे है जहां आज भी विधालयों में शिक्षकों की कमी के कारण स्कूल में नामांकन में कमी आती है। ऐसी ही स्थिति को देखते हुए एक ननद – भाभी ने शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अपने कदम बढ़ाये है।
एकल शिक्षक से विद्यालय में नामांकन टूटा, तो ननद-भोजाई भी विधालय में पढ़ाने लगे।यह दोनों विधालय में नि:शुल्क सेवाएं दे रही है। डूंगरपुर के सरोदा में विद्यालय में शिक्षक के पद कम होते-होते स्थितियां यह हो गई कि महज एक शिक्षक रह गए। ऐसे में अभिभावकों ने अपनों के भविष्य के खातिर बच्चों के दाखिले अन्य विद्यालय में करवा दिए।
Patrika .com/tags/education/”>Education nanad bhabhi doing Unique initiative” src=”https://new-img.patrika.com/upload/2019/07/15/banswara_1_4839930-m.jpg”>लगातार घटते नामांकन को देखते हुए कार्यरत शिक्षक की पुत्रवधु और बेटी ने कमान संभाली और अब नियमित स्कूल आकर पिता के साथ मिलकर बच्चों के भविष्य निर्माण में महत्ती भूमिका निभा रही है। यह कहानी जिले के पादरड़ी बड़ी स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय धनोरफला की है। यहां वर्ष 2005 में 80 के नामांकन पर दो शिक्षक थे। लेकिन, एक शिक्षक का स्थानांतरण पदोन्नति के चलते अन्य विद्यालय में हो गया। इस पर विद्यालय में एकमात्र शिक्षक अशोक मेहता ही रह गए।
एक शिक्षक के भरोसे चल रहे इस स्कूल को देख तेजी से नामांकन घटता गया और स्थितियां यह हो गई कि इस वर्ष महज 17 का नामांकन रह गया था। इस पर मेहता की पुत्रवधु अंजलि मेहता और बेटी शिल्पा मेहता को स्कूल में नि:शुल्क सेवाएं देने के लिए प्रेरित किया। दोनों ही एमए-बीएड होने से पिता का प्रस्ताव मानकर अगले ही दिन से स्कूल आने लगी। अब नामांकन 25 का हो गया है और नामांकन बढऩे का क्रम जारी है। मेहता ने बताया कि नामांकन बढ़ाने के लिए विद्यालय में डिश युक्त रंगीन टीवी लगाई है। वहीं, भामाशाहों से संपर्क कर प्रोजेक्टर आदि लेने की भी योजना है।