एक्सपर्ट चिकित्सकों ने बताया कि गले की खराश का 14 दिन तक ठीक ना होना, मुंह के नरम उतकों का लाल, सफेद या काला पड़ना, जबड़े में कोई छाला या उभार जो लंबे समय से दंत चिकित्सक से ठीक ना हो रहा हो, दो सप्ताह से अधिक समय तक गर्दन दर्द, भोजन निगलने में कठिनाई, आवाज का बदलना या कमजोर होना, मुंह से दुर्गंध आना आदि ओरल कैंसर के लक्षण (symptoms of oral cancer) हैं।
कैंसर की बीमारी का संदेह होने पर चिकित्सक बायोप्सी टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं। बायोप्सी की सलाह तब दी जाती है, जब चिकित्सक को कुछ संदिग्ध लगे। बायोप्सी के कट से किसी प्रकार का संक्रमण नहीं फैलता है। इसके अतिरिक्त सीटी स्केन, पीईटी स्केन और एक्सरे और एमआरआई स्केन आदि किए जाते हैं।
चिकित्सकों ने बताया कि इस कैंसर का उपचार संभव है। कैंसर की स्टेज के अनुसार कीमोथैरेपी, रेडियोथैरेपी आदि के संयोजन से काम से निजात दिलाई जा सकती है। मरीज के उपचार के बाद भी कुछ एहतियात बरतनी चाहिए। कई बार पर्याप्त मुंह ना खुलने पर थेरेपी देकर सिखाया जाता है। इलाज के बाद थेरेपी के जरिए व्यायाम, खाना घोटना आदि सिखाया जाता है।