scriptआरटीओ में पीएम के डिजिटलाइजेशन और स्वच्छता मुद्दों का ऐसा हश्र | Toilets pipe leaked from the years, spoiling government records | Patrika News

आरटीओ में पीएम के डिजिटलाइजेशन और स्वच्छता मुद्दों का ऐसा हश्र

locationजयपुरPublished: Aug 22, 2018 02:52:38 pm

Submitted by:

Vijay Sharma

शौचालय का पाइप बरसों से लीक होकर सरकारी रिकॉर्ड को खराब कर रहा

jaipur

आरटीओ में पीएम के डिजिटलाइजेशन और स्वच्छता मुद्दों का ऐसा हश्र

जयपुर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के डिजिटलाइजेशन और स्वच्छता के दो महत्वपूर्ण मुद्दों का हश्र देखना हो तो झालाना स्थित आरटीेओ कार्यालय का एक चक्कर लगाना ही पर्याप्त होगा। स्टोर रूम में शौचालय का पाइप बरसों से लीक होकर सरकारी रिकॉर्ड को खराब कर रहा है। स्टोर रूम में सरकारी दस्तावेज जमीन पर ही बेतरतीब पटके हुए हैं। इनमें से कोई दस्तावेज निकलवाना हो तो पैसे देने पर ही श्रमिक गंदगी में हाथ डाल पाता है। हैरानी वाली बात है कि कार्यालय में एक आरटीओ, चार डीटीओ और एक एआरटीओ स्तर के अधिकारी बैठते हैं। इसके बाद भी समस्या दूर नहीं हो रही। इस संबंध में आरटीओ कल्पना अग्रवाल का कहना है कि समस्या है, उसका समाधान भी कराया जा रहा है। रिकॉर्ड की शिफ्टिंग का काम किया जा रहा है। नए भवन में जल्द ही पूरा रिकॉर्ड रखवा दिया जाएगा। इसके बाद परेशानी नहीं आएगी।
अब कर्मचारियों को लगता है डर
जानकारों का कहना है कि सालों से स्टोर रूम में सरकारी रिकॉर्ड रखा हुआ है। अव्यवस्था इतनी हो गई है कि रिकॉर्ड में कीडे—मकौडों का बसेरा हो गया है। इसीलिए अब कोई भी कर्मचारी रिकॉर्ड रूम में जाने से डरता है।

करोडों का भवन बना हुआ फिर भी रिकॉर्ड बदहाल
आरटीओ कार्यालय परिसर में ही करोडों रुपए की लागत से सरकारी रिकॉर्ड सुक्षित रखने के लिए भवन बनाया गया है। जिसमें रिकॉर्ड को व्यवस्थित रखने के लिए अलग से आलमारी बनाई गई है। लेकिन आधे से ज्यादा आलमारी खाली है। भवन का उपयोग नहीं किया जा रहा। ऐसे में रिकॉर्ड बदहाल हालत में स्टोर रूम में पडा है। जानकारों का कहना है कि सालों से बदहाल पडे सरकारी रिकॉर्ड में कीडे—पकौडे होने लग गए है। ऐसे में अब कर्मचारी रिकॉर्ड खंगालने में कतराते हैं।
हादसे का लगा रहता भय
आरटीओ परिसर में बीचों—बीच स्टोर रूम में इस तरह से बडी ताताद में पडा सरकारी रिकॉर्ड के एक ओर जहां खोने का भय है, वहीं दूसरी ओर आग आदि जैसे हादसे होेने का खतरा बना रहता है। इसके बाद भी कोई अधिकारी सुनने को तैयार नहीं है।
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