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राजस्थान: पंचायत चुनाव में उठ रहा टोल वसूली का मुद्दा, BJP-RLP के निशाने पर Congress

locationजयपुरPublished: Nov 22, 2020 12:04:16 pm

Submitted by:

Nakul Devarshi

चुनावी महासमर में टोल वसूली का मुद्दा उठना कोई नया नहीं है। जनता के बजट से जुड़े होने के कारण राजनीतिक दल हर चुनाव के दौरान इस मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाते रहे हैं। इस बार भी पंचायत चुनाव की सभाओं में भाजपा-रालोपा नेता टोल वसूली मुद्दे को उठा रहे हैं..

पंचायत चुनाव में उठ रहा टोल वसूली का मुद्दा, ‘विरोधियों’ के निशाने पर कांग्रेस

पंचायत चुनाव में उठ रहा टोल वसूली का मुद्दा, ‘विरोधियों’ के निशाने पर कांग्रेस

जयपुर।

पंचायत चुनावों में इस बार टोल वसूली का मुद्दा भी जोर-शोर से उठ रहा है। भाजपा और रालोपा सहित अन्य विरोधी दल जनता के बीच अन्य मुद्दों के साथ इस मुद्दे को भी पुरजोर तरीके से उठा रहे हैं। टोल वसूली को लेकर प्रचार अभियानों में कई तरह के दावे और वादे भी किये जा रहे हैं।
गौरतलब है कि शहरों और गांवों को जोड़ने वाली सडकों के बीच अवैध रूप से हो रही टोल वसूली और कई जगहों पर बेवजह शुरू हुए स्टेट टोल लोगों के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं।
ठेकेदारों को फ़ायदा पहुंचा रही सरकार
टोल वसूली मुद्दे को उठाने में भाजपा मुखर दिखाई दे रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता व नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने भी कहा है कि पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार ने टोल वसूली को ख़त्म किया था। लेकिन कांग्रेस सरकार ने टोल टैक्स वसूली को फिर से लागू किया है। सरकार ठेकेदारों को फ़ायदा पहुंचाकर जनता की जेब पर आर्थिक बोझ डालने का काम कर रही है।
आरएलपी भी उठा रही मुद्दा
टोल वसूली के मुद्दे को राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी भी उठा रही है। पार्टी के संयोजक व लोकसभा सांसद हनुमान बेनीवाल शुरू से ही टोल वसूली के विरोध में रहे हैं। इस बार भी वे अपने चुनावी संपर्क अभियान में टोल मुद्दे को उठा रहे हैं। बेनीवाल सम्पूर्ण प्रदेश को टोल फ्री करने के वादे के साथ वोट अपील कर रहे हैं।
सांसद का कहना है कि वाहनचालकों से रोड टैक्स और पेट्रोल सेस के नाम पर पहले ही वसूली हो रही है जबकि टोल टैक्स वसूली करके अतिरिक्त आर्थिक दबाव डाला जा रहा है।

हर चुनाव में उठता है मुद्दा
चुनावी महासमर में टोल वसूली का मुद्दा उठना वैसे कोई नया नहीं है। जनता के बजट से जुड़े होने के कारण राजनीतिक दल हर चुनाव के दौरान इस मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाते रहे हैं। यही नहीं विधानसभा सत्र के दौरान भी सरकार ‘विरोधियों’ के निशाने पर रही है।

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