-केंद्र ने माना, बंद नहीं हो सकता टोल मुख्य सचिव डीबी गुप्ता ने कहा कि अप्रेल, 2018 में स्टेट हाईवे पर निजी वाहनों के टोल टैक्स बंद किया गया था। उस दौरान भारत सरकार के पास भी प्रस्ताव गया था कि वह भी निजी वाहनों का टोल टैक्स बंद करे लेकिन, गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ने लोकसभा में भी जवाब देते हुए कहा था कि टोल टैक्स निजी वाहनों का बंद नहीं किया जा सकता। इसके बाद यह बात सामने आई थी कि सड़कों के पीपीपी मोड पर प्रोजेक्ट चल रहे हैं।
-सड़कों के लिए कर्जा चुक नहीं रहा था सड़कें बनाने के लिए जो कर्ज लिया गया था, उसमें स्टेट हाईवे टोल टैक्स बंद करने के बाद बड़ा नुकसान हो रहा था। कंपनी सड़कों का रखरखाव नहीं कर सकती। ऐसे में सरकार ने पूरे विचार-विमर्श के बाद में आम जनता को बेहतर सड़कें मिले, इसको लेकर सुविधा उपलब्ध कराने के लिए स्टेट हाईवे पर निजी वाहनों पर टोल टैक्स शुरू कर रही है।
-172 करोड़ रुपए का हुआ नुकसान अधिकारियों की मानें तो भाजपा सरकार ने 1 अप्रेल, 2018 से राज्य में निजी वाहनों को 55 स्टेट हाईवे पर लगने वाले टोल शुल्क से छूट दी थी। ऐसे में आधार वर्ष 2017-18 के अनुसार करीब 172 करोड़ रुपए के टोल शुल्क का नुकसान हुआ, जिससे सड़कों की मरम्मत और निर्माण कार्य नहीं हो पाया।
-सालाना मिल रहे थे 851 करोड़ रुपए छूट से पहले पीडब्ल्यूडी, आरएसआरडीसी और रिडकोर की विभिन्न सड़कों पर सालाना टोल शुल्क संग्रहण लगभग 851 करोड़ रुपए था। इससे सड़कों की निर्माण राशि का पुनर्भरण और मरम्मत कार्य हो रहा था। टोल शुल्क को लेकर सरकार और टोल वसूल करने वाले कंसेशनर के बीच अनुबंध होता है।
-बिना मुआवजा दिए बंद किया टोल पूर्ववर्ती सरकार ने टोल वसूल करने वाली कंपनियों को कोई मुआवजा दिए बिना तथा उनकी सहमति के बिना चुनावी वर्ष में चुनाव की वैतरणी पार करने के लिए बिना सोचे समझे एकतरफा निर्णय लेते हुए स्टेट हाईवे पर निजी वाहनों को टोल शुल्क से मुक्त कर दिया।
-अदालत पहुंचे टोल वसूलकर्ता इस कारण सड़क परियोजना के अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन होने से टोल वसूलकर्ता सरकार के खिलाफ न्यायालय में चले गए। उन्होंने न्यायालय से टोल राशि के पुनर्भरण के साथ ही उसका ब्याज भी चुकाने की मांग रखी है। ऐसी स्थिति में राज्य सरकार पर दोहरा वित्तीय भार आने की संभावना है।