किसानों को उनके उत्पादों का उचित दाम दिलाने के मकसद से इन कृषि उत्पादों को आवश्यक वस्तु अधिनियम से हटाया गया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बरसात के दिनों में अक्सर उत्पादक क्षेत्रों में इन कृषि उत्पादों की कीमतें कम रहती थी, जबकि शहरों में इनके दाम बढ़ जाते थे। व्यापारी बताते है कि इस बार बरसात के साथ-साथ डीजल के दाम में हुई वृद्धि भी एक बड़ी वजह है, जिसके कारण आवक बढऩे के बावजूद टमाटर का दाम कम नहीं हो रहा है।
सब्जी व्यापारी ने बताया कि टमाटर की आवक कम होने की वहज से कीमतों में इजाफा हुआ है। टमाटर ही नहीं, तमाम सब्जी व फलों के दाम में तेजी आई है, जिसकी एक बड़ी वजह डीजल के दाम में वृद्धि है। उन्होंने कहा कि डीजल के दाम में बढ़ोतरी से सब्जियों की परिवहन लागत बढ़ गई है। हालांकि टमाटर अब ज्यादा लाल नहीं होगा, अगले सप्ताह से हिमाचल प्रदेश से नई फसल की आवक जोर पकडऩे वाली है। जिसके बाद कीमतों में गिरावट आ जाएगी।
उन्होंने बताया कि इस समय 90 फीसदी आवक हिमाचल प्रदेश से हो रही है कि 10 फीसदी आवक हरियाणा और कर्नाटक से हो रही है। कोरोना काल में देशव्यापी लॉकडाउन के कारण होटल, रेस्तरां, कैंटीन और ढाबा बंद रहने के कारण टमाटर, प्याज समेत तमाम हरी सब्जियों की खपत बीते महीनों के दौरान घट गई, जिससे कीमतों में काफी गिरावट आई। टमाटर का थोक भाव एक रुपया प्रति किलो से भी कम हो गया था। किसान पहले दाम कम होने के कारण परेशान थे और अब फसल खराब होने से परेशान हैं।