19 जनवरी दोपहर तीन बजे तक नाम वापसी का अंतिम मौका है, ऐसे में दोनों ही दलों के विधायक और स्थानीय नेता बागियों को मनाने में जुटे हैं, पिछले तीन दिनों से बागियों को मनाने की कवायद चल रही है, लेकिन बागी मनुहार को अनसुना कर चुनाव मैदान में डटे हुए हैं।
90 निकायों में एक मात्र अजमेर नगर निगम चुनाव में सत्तारूढ़ कांग्रेस और भाजपा बड़े स्तर पर बगावत का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि भाजपा के मुकाबले कांग्रेस बगावत ज्यादा देखने को मिल रही है। हालांकि कांग्रेस नेताओं का दावा है कि वे नाम वापसी तक अधिकांश बागियों को मनाने में कामयाब हो जाएंगे।
टिकट वितरण में जमीनी कार्यकर्ताओं की अनदेखी का आरोप
सूत्रों की माने तो सत्तारूढ़ कांग्रेस और भाजपा में बगावत के पीछे एक वजह टिकट वितरण से नाराजगी होना भी है, सत्तारूढ़ कांग्रेस इस बार टिकट वितरण में विधायकों की चली है, पार्टी की ओर से टिकट वितरण के लिए लगाए गए पर्यवेक्षकों ने भी विधायकों की सलाह पर काम किया है।
बताया जाता है कि विधायकों ने अपने समर्थकों को टिकट दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, जिसके स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं ने टिकट वितरण में जमीनी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा किए जाने का आरोप लगाते हुए बागी प्रत्याशियों के तौर चुनाव मैदान में ताल ठोक दी।
बागी बिगाड़ सकते हैं दोनों दलों के समीकरण
दरअसल भाजपा और कांग्रेस कैंप में सबसे बड़ी चिंता यही है कि अगर वे बागियों को मनाने में कामयाब नहीं हो पाए तो चुनाव में दोनों दलों के बागी उनके प्रत्याशियों के लिए परेशानी खड़ी करते हुए उनके समीकरण बिगाड़ सकते हैं। यही वजह है कि बागियों मनाने की कोशिशें तेज हैं। कांग्रेस की ओर से तो बाकायदा बागियों को संगठन और राजनीतिक नियुक्तियों में एडजस्ट किए जाने का आश्वासन तक विधायकों की ओर से दिया जा रहा है।
नहीं माने तो कार्रवाई संभव
वहीं दूसरी ओर कल नाम वापसी तक अगर बागी चुनाव मैदान से नहीं हटते हैं तो फिर बागियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई संभव है। दोनों ही दल अपने-अपने बागियों पर अनुशासन का डंडा चलाते हुए उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा सकते हैं। गौरतलब है कि नाम वापसी के बाद ही प्रत्याशियों का फाइनल आंकड़ा जारी होगा और चुनाव प्रचार तेज हो जाएगा।