सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी श्रीमत पांडे को राजस्थान उच्च न्यायालय ने राहत देते हुए कंपनी रजिस्ट्रार के 11 सितंबर 2017 के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। कंपनी रजिस्ट्रार ने इस आदेश के जरिए उनको अयोग्य निदेशकों की सूची में शामिल कर दिया था। न्यायालय ने इस पर केंद्र सरकार सहित अन्य से जवाब तलब किया है। श्रीमत पांडे ने याचिका में कहा कि वे 2010 से पहले कुछ समय जयपुर मेटल में निदेशक के पद पर कार्यरत थे। इस पद पर उनकी नियुक्ति राज्य सरकार ने कर दी थी। और कंपनी की रिटर्न नहीं भरने के आधार पर रजिस्ट्रार ऑफ कम्पनीज ने 2017 में जारी की गई अयोग्य निदेशकों की लिस्ट में उनका भी नाम शामिल कर दिया। जबकि इसका उनसे किसी तरह का संबंध नहीं है इसी वजह से उनका नाम सूची से बाहर किया जाना चाहिए। जिस पर न्यायाधीश महेंद्र कुमार गोयल ने रजिस्ट्रार आफ कंपनीज की ओर से जारी 11 सितंबर 2017 के आदेश पर अंतरिम रोक लगाते हुए 4 सितंबर तक जवाब तलब किया है।
केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण ने मांगा जवाब
केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण केट ने भारतीय वन सेवा के अधिकारी के तबादला आदेश पर रोक लगा दी। अधिकरण ने पर्यावरण मंत्रालय, मुख्य सचिव, प्रमुख वन सचिव, प्रमुख कार्मिक सचिव और प्रधान मुख्य वन संरक्षक सहित अन्य से जवाब मांगा है। अशोक कुमार महरिया के अधिवक्ता तनवीर अहमद ने अधिकरण को बताया कि महरिया वर्ष 2014 में आईएफएस कैडर में नियुक्त हुआ था। उनको मार्च 2019 में उप वन संरक्षक के तौर पर उदयपुर में नियुक्त किया। इसके बाद दो अगस्त 2020 को याचिकाकर्ता का उदयपुर से बारां तबादला कर दिया। जबकि नियमानुसार दो साल पहले तबादला करने के लिए विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी का गठन करना चाहिए था और कमेटी संबंधित अधिकारी को तबादला करने का कारण बताकर अपनी रिपोर्ट भेजती है। जिसके बाद ही नियमानुसार तबादला किया जा सकता है लेकिन राज्य सरकार ने बिना कोई कमेटी गठित किए याचिकाकर्ता का तबादला कर दिया है। जिस पर केट ने तबादला आदेश पर अंतरिम रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण केट ने भारतीय वन सेवा के अधिकारी के तबादला आदेश पर रोक लगा दी। अधिकरण ने पर्यावरण मंत्रालय, मुख्य सचिव, प्रमुख वन सचिव, प्रमुख कार्मिक सचिव और प्रधान मुख्य वन संरक्षक सहित अन्य से जवाब मांगा है। अशोक कुमार महरिया के अधिवक्ता तनवीर अहमद ने अधिकरण को बताया कि महरिया वर्ष 2014 में आईएफएस कैडर में नियुक्त हुआ था। उनको मार्च 2019 में उप वन संरक्षक के तौर पर उदयपुर में नियुक्त किया। इसके बाद दो अगस्त 2020 को याचिकाकर्ता का उदयपुर से बारां तबादला कर दिया। जबकि नियमानुसार दो साल पहले तबादला करने के लिए विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी का गठन करना चाहिए था और कमेटी संबंधित अधिकारी को तबादला करने का कारण बताकर अपनी रिपोर्ट भेजती है। जिसके बाद ही नियमानुसार तबादला किया जा सकता है लेकिन राज्य सरकार ने बिना कोई कमेटी गठित किए याचिकाकर्ता का तबादला कर दिया है। जिस पर केट ने तबादला आदेश पर अंतरिम रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।