खाली बोतलें यहां कैसे आई? इमारत में जहां-तहां शराब और बीयर की खाली बोतलें बिखरी हैं। इन स्थितियों को देखकर यही बड़ा सवाल उठता है कि कि कैसे यातायात पुलिसकर्मी शराब पीकर वाहन चलाने वालों को अच्छा संदेश दे पाते होंगे। अगर पुलिस कर्मी ही विभाग में शराब का सेवन करते हैं तो वो कैसे किसी को नियम—कानून सिखा पाते हैं। अगर ये बोतले यातायात पुलिसकर्मियों की नहीं है तो विभाग की सुरक्षा पर ही सवाल उठते हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि इस इमारत में आम व्यक्ति घुसकर शराब-बियर का सेवन करने की हिम्मत नहीं कर सकता है तो ये खाली बोतलें यहां कैसे आई?
स्वच्छता का दोहरा चेहरा यादगार भवन में डीसीपी चैम्बर तक जाने के लिए जैसे ही सीढिय़ां चढ़ते हैं और चैम्बर तक जाते हैं तो चारों तरफ सफाई नजर आती है। यहां रखे गमलों में पौधे मिलेंगे। लेकिन डीसीपी चैम्बर के विपरीत इसी इमारत की दूसरी गैलरी में चलते हैं तो गमले भी कम दिखे और गंदगी का आलम बढ़ता गया। पुलिसकर्मियों के आराम के लिए बनी बैरक के आस-पास तो बहुत गंदगी है। यहां की कि दीवारें गुटका और जर्दा की पीक से लाल हो चुकी हैं।
गंदा पड़ा शौचालय
यहां पुलिसकर्मियों के लिए बचे शौचालय गंदे पड़े हैं। इमारत में बैरक के ही सामने शौचालय गंदगी से अटा पड़ा है, जिसकी बदबू बाहर तक आती रहती है।