हर 10 मिनट में फंसते हैं वाहन
मुख्य बस स्टैंड पर शाम को हर पांच मिनट में एक बस का आना होता है। इसके अलावा अन्य वाहन पहले से ही यहां खड़े रहते हैं। ऐसे में जाम की स्थिति बन जाती है। इसे सुधारने के लिए न कोई थाना का पुलिसकर्मी खड़ा होता और ना ही यातायात पुलिस। स्थानीय प्रशासन ने भी यहां व्यवस्था के लिए कोई कर्मचारी नहीं लगा रखा। बस, यही जाम बस स्टैंड चौराहे तक पहुंच जाता है। इस चौराहे से एक लाइन लगती है मोरीजा रोड की ओर, तो दूसरी रींगस मार्ग की ओर। एक जयपुर जाने वाले मार्ग पर, तो एक पठानों के मोहल्ले की ओर। ऐसे में चारों ओर से आने वाले वाहन जब इस चौराहे पर आकर मिलते हैं, तो सब रेंग-रेंग कर चलते हैं। हर शाम यही नजारा आम रहता है।
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मुख्य बस स्टैंड पर शाम को हर पांच मिनट में एक बस का आना होता है। इसके अलावा अन्य वाहन पहले से ही यहां खड़े रहते हैं। ऐसे में जाम की स्थिति बन जाती है। इसे सुधारने के लिए न कोई थाना का पुलिसकर्मी खड़ा होता और ना ही यातायात पुलिस। स्थानीय प्रशासन ने भी यहां व्यवस्था के लिए कोई कर्मचारी नहीं लगा रखा। बस, यही जाम बस स्टैंड चौराहे तक पहुंच जाता है। इस चौराहे से एक लाइन लगती है मोरीजा रोड की ओर, तो दूसरी रींगस मार्ग की ओर। एक जयपुर जाने वाले मार्ग पर, तो एक पठानों के मोहल्ले की ओर। ऐसे में चारों ओर से आने वाले वाहन जब इस चौराहे पर आकर मिलते हैं, तो सब रेंग-रेंग कर चलते हैं। हर शाम यही नजारा आम रहता है।
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पहले निकलने की होड़
यही हाल थाना मोड़ का रहता है। शाम को यहां दुपहिया वाहन चालक तो जैसे बिना रोक-टोक के गाड़ी दौड़ाते हैं। वे यह भी नहीं देखते कि कहीं से कोई बड़ा वाहन आ रहा है या नहीं। यातायात पुलिस की भी नहीं सुनते। कभी सब्जी मंडी से, तो कभी तहसील कार्यालय से निकलने वाली मोटरसाइकिल, स्कूटर और कार जैसे निजी वाहन के चालक तेज गति से चौराहा पार करने के प्रयास में रहते हैं। जिससे दुर्घटना की स्थिति बन जाती है। लोग जोर-जबरदस्ती से दूसरे वाहनों को रोककर सड़क पार करते हैं। ऐसे में कई बार गाडिय़ां एक-दूसरे के सामने अड़ जाती हैं। शाम को इस चौराहे से अक्सर उपखंड अधिकारी, तहसीलदार, न्यायिक अधिकारी, पुलिस अधिकारी, बड़े जनप्रतिनिधियों का गुजरना होता है, लेकिन कोई भी इसे सुधारने के लिए आगे नहीं बढ़ता।
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यही हाल थाना मोड़ का रहता है। शाम को यहां दुपहिया वाहन चालक तो जैसे बिना रोक-टोक के गाड़ी दौड़ाते हैं। वे यह भी नहीं देखते कि कहीं से कोई बड़ा वाहन आ रहा है या नहीं। यातायात पुलिस की भी नहीं सुनते। कभी सब्जी मंडी से, तो कभी तहसील कार्यालय से निकलने वाली मोटरसाइकिल, स्कूटर और कार जैसे निजी वाहन के चालक तेज गति से चौराहा पार करने के प्रयास में रहते हैं। जिससे दुर्घटना की स्थिति बन जाती है। लोग जोर-जबरदस्ती से दूसरे वाहनों को रोककर सड़क पार करते हैं। ऐसे में कई बार गाडिय़ां एक-दूसरे के सामने अड़ जाती हैं। शाम को इस चौराहे से अक्सर उपखंड अधिकारी, तहसीलदार, न्यायिक अधिकारी, पुलिस अधिकारी, बड़े जनप्रतिनिधियों का गुजरना होता है, लेकिन कोई भी इसे सुधारने के लिए आगे नहीं बढ़ता।
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मूंगफली के ट्रक बिगाड़ेंगे व्यवस्था
अब मूंगफली कासीजन आने वाला है। ऐसे में चौमूं कृषि उपज मंडी में मूंगफली की फसल की आवक होगी। फिर सुबह-शाम ट्रक में भरी मूंगफली यहां की यातायात व्यवस्था को और बिगाड़ देगी। यदि लदे ट्रकों का शहर में आने का समय निर्धारित कर दिया जाए, तो किसी हद तक जाम से राहत मिलेगी। इन ट्रकों को रात 9 बजे बाद चौमूं के मुख्य मार्गों में एंट्री दी जाए। वैसे भी यहां सुबह जाम का कारण मंडी में आने वाले फल-सब्जियों के ट्रक ही हैं।
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