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पग-पग पर खून से सनी है शहर की पटरियां …जानिए एेसा क्यों है

locationजयपुरPublished: Sep 11, 2019 11:50:09 am

Submitted by:

RAJESH MEENA

सुरक्षा को लेकर शिकंजा कसा तो पटरियों पर गिरा मौत का ग्राफ

Train Accident

Train Accident

जयपुर। राजधानी में रेलवे लाइन (rail line ) के आस-पास सुरक्षा को लेकर शिकंजा कसने से पिछले साल के मुकाबले ट्रेन हादसों में मरने वालों का ग्राफ गिरा है। शहरी क्षेत्र में पटरी के दोनों ओर दीवार व तारबंदी के उपाय करने से जहां पर ट्रेन से कटने ( run over by train )के मामलों में कमी आई है , वहीं शहर के बाहरी इलाकों में ट्रेन के हादसों का सिलसिला लगातार जारी है। शहर में फैली पटरियों पर सबसे ज्यादा मौत खिरणी फाटक से कनकपुरा के बीच होती है। इसके बाद जगतपुरा स्टेशन से लेकर खातीपुरा स्टेशन के बीच का इलाके का नम्बर आता है। अगर शहरी क्षेत्र की बात करें तो मालवीय नगर ,सांगानेर, गांधी नगर,बाइक गोदाम और जयपुर रेलवे स्टेशन ( jaipur railway station )पर ट्रेन हादसों में कमी देखी गई है। पिछले साल ट्रेन हादसों में करीब 180 लोगों की मौत हुई थी। जबकि इस साल आठ माह में १०० लोग ट्रेन की चपेट में आने से काल का ग्रास बन चुके है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार इस साल खिरणी फाटक से कनकपुरा के बीच ट्रेन हादसों में डेढ़ दर्जन लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं जगतपुरा से खातीपुरा स्टेशन के बीच करीब आठ लोगों की मौत हो चुकी है। इन स्थानों पर न तो सुरक्षा दीवार बनी है ना ही तारबंदी । ट्रेन हादसों को देखते हुए सांगानेर, मालवीय नगर सहित अन्य स्थानों पर दीवार के साथ सुरक्षा के अन्य इंतजाम बढ़ाए है। इससे यहां पर ट्रेन हादसों में कमी आई है।
रोजाना खून से लाल होती है पटरियां
– जयपुर शहर ( jaipur news )के करीब चालीस किलोमीटर दायरे में फैली पटरियां रोजाना खून से लाल हो रही है। इसमें कुछ आत्महत्या करते है तो कुछ पटरी पार करने के दौरान हादसे का शिकार हो जाते है। एेसे में अब आवश्यक है कि शहरी क्षेत्र के साथ उसके आस-पास के ग्रामीण इलाकों में भी सुरक्षा के इंतजाम किए जाएं तो ट्रेन हादसों में भारी कमी लाई जा सकती है।
ट्रेन हादसे में मौत –
साल 201८ में ट्रेन हादसों में करीब १८० लोगों की मौत हो गई थी साल 201७ में ट्रेन हादसों में करीब 16५ लोगों की मौत हो गई थी। २०१६ में १६० लोग ट्रेन हादसों ( train accident )में काल का ग्रास बन गए। जबकि 15 में 145 लोग ट्रेन हादसों में असामयिक काल कलवित हो गए थे। वहीं 2014 में करीब 125 लोगों ने ट्रेन की टक्कर से विभिन्न स्थानों पर अपनी जान गवां दी थी।
पुलिस के सामने ही पार करते लोग पटरियां-
रेलवे स्टेशन पर जीआरपी ( GRP )और आरपीएफ ( RPF )के जवान तैनात रहते है। इन सब के बावजूद लोग बेधड़क होकर पटरियां पार करते है। इस प्रकार से पटरी पार करने वालों पर कार्रवाई करने के निर्देश उच्च अधिकारियों ने जारी कर रखे है। लेकिन पुलिस कार्रवाई करने से बचती नजर आती है।
-ट्रेन से कटने वाले अस्सी फीसदी युवा
जयपुर शहर में ट्रेन से कट कर काल का ग्रास बनने वाले अस्सी फीसदी युवा है। जयपुर शहर में सबसे ज्यादा हादसे जगतपुरा फाटक, इंडूणी फाटक, दादी का फाटक और गोनेर फाटक पर होते है। जयपुर में करीब चालीस किलोमीटर से अधिक की दूरी में रेलवे लाइन फैली हुई है। जयपुर से होकर रोजाना करीब तीन सौ ट्रेन गुजरती है। शहरी क्षेत्र के आस-पास के इलाकों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं है। यहीं वजह है कि पटरियां पार करने के दौरान ट्रेन की चपेट में आने से लोग मौत का शिकार हो जाते है। वहीं कुछ लोग सुरक्षा बदइंतजामी का फायदा उठाकर ट्रेन के आगे कूद कर आत्महत्या कर रहे है। इन हादसों को रोकने का जिम्मा आरपीएफ व जीआरपी थाना पुलिस के पास है।
– हादसों को रोकने के लिए समय-समय पर आमजन में समझाइस अभियान चलाया जाता है। आरपीएफ के साथ हमारी पुलिस भी इन हादसों को रोकने के लिए लगातार प्रयासरत रहती है। रेलवे भी अपने स्तर पर हादसे रोकने के लिए प्रयास करता है। पटरी पार करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है।
रतन लाल , थानाधिकारी जीआरपी जयपुर
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