राठौड़ ने कहा कि 34 दिन लगातार अंतर्विरोध से डगमगाई सरकार ने बाड़ाबंदी के दौरान भी विधायकों से स्थानांतरण के लिए अभिशंषा ली थी उन्हें पूरा करने के लिए तबादले शुरू किए गए हैं। जबकि राज्य में सरपंच व पंचों के चुनाव की अधिसूचना 7 सितंबर को जारी कर दी थी। इसके बाद सरकार ने 44 आबकारी अधिकारियों के स्थानांतरण कर दिए, जिन्हें निर्वाचन आयोग की ओर से रद्द करने से सरकार की फजीहत हुई है। आचार संहिता के कारण 33 में से 26 जिलों में नियमानुसार स्थानांतरण हो ही नहीं सकते, ऐसे में स्थानांतरण पर रोक हटाने का निर्णय सरकार द्वारा ग्राम पंचायत के चुनाव में राज्य कर्मचारियों को स्थानांतरण की धमकी से अपने पक्ष में प्रचार करने का प्रयास है।
स्थानांतरण स्वीकार्य नहीं राठौड़ ने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग ने अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त) को भेजे पत्र में सख्त लहजे व गंभीरतापूर्वक राज्य सरकार को स्पष्ट संकेत दिया है कि आचार संहिता होने के बावजूद आयोग की अनुमति के बिना स्थानांतरण करना कतई स्वीकार्य नहीं होगा। राठौड़ ने मांग की है कि कर्मचारी/अधिकारियों के स्थानान्तरण आदेश पर तत्काल रोक लगाई जाए।