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बिना सीना चीरे बदला हार्ट का वॉल्व

locationजयपुरPublished: Nov 10, 2019 03:47:12 pm

Submitted by:

Anil Chauchan

Trans-Catheter Aortic Valve Repair Technique : कभी बुजुर्गों की मानी जाने वाली Heart Disease अब Younger Generation को अपनी चपेट में ले रही हैं। सुखद पहलू यह है कि इन Diseases के आधुनिकतम उपचार व Treatment Techniques रोगियों को राहत दे रही हैं।

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Trans-Catheter Aortic Valve Repair Technique : जयपुर . कभी बुजुर्गों की मानी जाने वाली ह्रदय की बीमारियां अब युवा पीढ़ी ( younger generation ) को अपनी चपेट में ले रही हैं। सुखद पहलू यह है कि इन बीमारियों ( diseases ) के आधुनिकतम उपचार व उपचार तकनीकें ( treatment techniques ) रोगियों को राहत दे रही हैं। हाल ही में महात्मा गांधी अस्पताल की कार्डियक साइंसेज टीम ने ‘ट्रांस-कैथेटर एओर्टिक वॉल्व रिप्लेसमेंटÓ – टीएवीआर जैसी नई तकनीक के जरिए एक व्यक्ति को नया जीवन दिया गया है। उपचार के बाद रोगी अब सामान्य होकर स्वास्थ्य लाभ ले रहा है।
हार्ट के उपचार के क्षेत्र में आ रही नई तकनीकों का मरीजों का खासा फायदा मिल रहा है। महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज के चेयरपर्सन डॉ. विकास स्वर्णकार ने बताया कि यह हार्ट के एओर्टिक वॉल्व को बिना सीना चीरे बदलने की ‘टीएवीआरÓ तकनीक अभी तक देश के चुनिंदा केन्द्रों पर ही उपलब्ध है। अमेरिका के एफडीए एपरूड वॉल्व प्रत्यारोपित करने के कुछ ही मामले प्रदेश में हुए हैं। हाल ही में विशेष प्रशिक्षण के लिए कार्डियक टीम को अमेरिका के प्रतिष्ठित मेयो क्लिनिक में प्रशिक्षण दिलाया गया है। उपचार का खर्च भी अन्य संस्थानों के मुकाबले चालीस प्रतिशत तक कम रहा।
‘टीएवीआरÓ तकनीक का सफल प्रयोग करने वाले ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपेश अग्रवाल ने बताया कि 65 वर्षीय शांति लाल सीने में दर्द, सांस की तकलीफ तथा बेहोसी की हालत में अस्पताल पहुंचे थे। ह्रदय की गति बढ़ी हुई थी। ह्रदय की कार्यक्षमता 15 प्रतिशत तक रह गई थी। इस वजह से ऑपरेशन संभव नहीं था। रोगी का एओर्टिक वॉल्व सिकुड़ा हुआ था और अंदरूनी दबाव के चलते ह्रदय का आकार बढ़ गया था। यह हार्ट फेलियर की स्थिति थी। ऐसे लक्षणों के साथ रोगी की जीवन आशा भी बहुत कम रह गई थी।
ट्रांस-कैथेटर एओर्टिक वॉल्व रिपेयर तकनीक
बिना सीना चीरे बदला हार्ट का वॉल्व
महात्मा गांधी अस्पताल के डॉक्टरों ने किया ऑपरेशन
पैर की नस से वायर के जरिए बदला एओर्टिक वॉल्व

डॉ. दीपेश अग्रवाल ने बताया कि सामान्यत: हार्ट वाल्व के खराब होने पर उसे ऑपरेशन करके बदला जाता है। किन्तु अब उसकी जरूरत नहीं रही। वाल्व को इंटरवेशनल प्रक्रिया के जरिए भी बदला जा सकता है। खासकर यह तकनीक उन रोगियों के लिए उपयुक्त होती है जो हार्ट फेलियर की स्थिति मे हो अथवा जिनके ह्रदय की कार्यक्षमता कम रह गई हो। जांघ की फीमोरल आर्टरी के जरिए वायर के साथ सैल्फ एक्सपेंडिबल एओर्टिक वाल्व को हार्ट तक ले जाकर स्थापित कर दिया गया। इसके साथ ही एओर्टिक वॉल्व के पत्ते सामान्य रूप से ह्रदय से शरीर में खून के प्रवाह समय पर स्वत: ही खुलने व बंद होने लगे।
वरिष्ठ हार्ट सर्जन डॉ. बुद्धादित्य चक्रवर्ती ने बताया कि एओर्टिक वाल्व को बिना चीरे के बदला जाना एक जटिल प्रक्रिया हैं। ऐसे में किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए हार्ट सर्जन व अनुभवी कार्डियक एनेस्थीसिया विशेषज्ञ का होना बहुत जरूरी होता है। टीएवीआर प्रोसीजर टीम में डॉ. दीपेश अग्रवाल, डॉ. बुद्धादित्य चक्रवर्ती, डॉ. हर्षवर्धन, डॉ. रामानंद सिन्हा, डॉ. गौरव गोयल आदि प्रमुख सहयोगी रहे।

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