यह है अंतर सामान्य ट्रांसफार्मर की क्षमता 250 से 315 केवीए तक होती है। यानी उस इलाके में विद्युत लोड तेजी से बढ़ता है तो लगातार फॉल्ट और बिजली गुल होने की समस्या बनी रहती है। जबकि पैकेज ट्रांसफार्मर की क्षमता सामान्य से 4 गुना तक होती है। यानी 1 हजार केवीए से ज्यादा। इलाके में 100 केवीए लोड प्रतिवर्ष बढ़ता है, ऐसे में पैकेज ट्रांसफार्मर की 10 साल तक बेहतर उपयोगिता बनी रहती है।
ट्रांसफार्मर जलने से निजात
राजधानी में कई जगह ओवरलोडिंग के चलते ट्रांसफार्मर जलने की शिकायतें मिलती रही हैं। ऐसे में बिजली संकट लगातार गहराता जा रहा था। इससे निजात दिलाने के लिए बिजली के तारों को अंडरग्राउंड कर आधुनिक ट्रांसफार्मर लगाना शुरू किया गया है। इन्हें पैकेज सब-स्टेशन कहा जाता है। इसकी मदद से हर मोहल्ले की सप्लाइ को अलग-अलग सर्किट ब्रेकर के जरिए कंट्रोल किया जाएगा। अब जिन इलाकोंं में निर्धारित सप्लाइ से ज्यादा बिजली का इस्तेमाल होगा, वहां का सर्किट फेल हो जाएगा।
राजधानी में कई जगह ओवरलोडिंग के चलते ट्रांसफार्मर जलने की शिकायतें मिलती रही हैं। ऐसे में बिजली संकट लगातार गहराता जा रहा था। इससे निजात दिलाने के लिए बिजली के तारों को अंडरग्राउंड कर आधुनिक ट्रांसफार्मर लगाना शुरू किया गया है। इन्हें पैकेज सब-स्टेशन कहा जाता है। इसकी मदद से हर मोहल्ले की सप्लाइ को अलग-अलग सर्किट ब्रेकर के जरिए कंट्रोल किया जाएगा। अब जिन इलाकोंं में निर्धारित सप्लाइ से ज्यादा बिजली का इस्तेमाल होगा, वहां का सर्किट फेल हो जाएगा।
यह है पैकेज सब स्टेशन
यह एक लोहे का बॉक्स होता है, जिसमें एक ट्रांसफार्मर रखा होता है। इसके एक तरफ से 11 हजार किलोवाट की सप्लाइ के लिए सर्किट ब्रेकर लगा होता है। उससे एक लाइन ट्रांसफार्मर को बिजली देने और दूसरी आगे के अगले पैकेज ट्रांसफार्मर के लिए चली जाती है। दूसरी तरफ तीन से पांच मोहल्लों की आपूर्ति के लिए अलग-अलग ब्रेकर होते हैं। इन छोटे ब्रेकर से होकर अलग-अलग कॉलोनियों को बिजली सप्लाइ की जाती है।
यह एक लोहे का बॉक्स होता है, जिसमें एक ट्रांसफार्मर रखा होता है। इसके एक तरफ से 11 हजार किलोवाट की सप्लाइ के लिए सर्किट ब्रेकर लगा होता है। उससे एक लाइन ट्रांसफार्मर को बिजली देने और दूसरी आगे के अगले पैकेज ट्रांसफार्मर के लिए चली जाती है। दूसरी तरफ तीन से पांच मोहल्लों की आपूर्ति के लिए अलग-अलग ब्रेकर होते हैं। इन छोटे ब्रेकर से होकर अलग-अलग कॉलोनियों को बिजली सप्लाइ की जाती है।
बिजली चोरी वाले इलाकों में भी कारगर अब तक जयपुर डिस्कॉम ट्रांसफार्मर जलने से उन इलाकोंं को तो चिन्हित कर लेता है जहां बिजली चोरी हो रही है लेकिन वहां बिजली सप्लाइ को नियंत्रित करने का तरीका उसके पास नहीं था। अब पैकेज सब स्टेशन इस समस्या से निपटने में सक्षम है। इन ट्रांसफार्मर में लगे मोल्डेड केस सर्किट ब्रेकर (एमसीसीबी) से अलग-अलग इलाकोंं की बिजली सप्लाइ को नियंत्रित किया जा सकता है।