अंगदान- महादान में परिवहन विभाग की कारगर पहल
ड्राइविंग लाइसेंस टेस्ट में ऑर्गन डोनेशन का सवाल अनिवार्य
ऑर्गन डोनर की बढ़ रही संख्या
30 फीसदी आवेदकों ने ऑर्गन डोनेट करने की दी सहमति

जयपुर। प्रदेश में बहुत जल्द ऑर्गन डोनर की कमी काफी हद तक दूर होने वाली है। प्रदेश के परिवहन विभाग ने ड्राइविंग लाइसेंस की प्रक्रिया में ऑर्गन डोनेशन के सवाल को अनिवार्य रूप से लागू कर दिया है। जिसमें लाइसेंस आवेदकों से लिखित में ऑर्गन डोनेट करने की सहमति ली जाएगी। प्रक्रिया शुरू होने के बाद करीब 30 फीसदी आवेदकों ने अंगदान करने की सहमति दी है।
जानकारी के अनुसार अब तक प्रदेश में दो—तीन फीसदी लोग ही अंगदान के संदर्भ में स्वैच्छा से सहमति देते हैं।लेकिन परिवहन विभाग की पहल के बाद अब अंगदान को लेकर प्रदेश में जागरुकता बढ़ रही है। परिवहन विभाग की तरफ से लाइसेंस बनवाने के दौरान ऑर्गन डोनेशन से संबंधित सवाल अनिवार्य करने के बाद 30 प्रतिशत आवेदकों ने ऑर्गन डोनेशन के लिए सहमति दी है।
गौरतलब है कि 'अंगदान महादान' की परिकल्पना अब तक भी प्रदेश में पाठ्य पुस्तकों का हिस्सा बनी हुई है। हर साल अंगों की कमी के चलते हजारों जरूरतमंद लोगों को जान से हाथ धोना पड़ रहा है। लगातार अंगदान के लिए मुहिम चलाई जा रही है जिससे कई जिंदगियों को बचाया जा सके। लेकिन सामाजिक भ्रांतियों के कारण लोग अब भी अंगदान से दूरी बनाए हुए हैं। वहीं अब प्रदेश के परिवहन विभाग की एक पहल ने इस मुहिम को सार्थक करने बड़ा कदम उठाया है।
सरकारी आंकड़ों की मानें तो देश में हर साल करीब 1.5 लाख लोग सड़क हादसों का शिकार होते हैं. वहीं, प्रदेश में भी हर साल करीब 10 हजार लोग सड़क हादसों में मारे जाते हैं.
नियम में बदलाव तो बढ़ी जागरुकता
परिवहन विभाग ने अब ऑर्गन डोनेट से संबंधित सवाल अनिवार्य कर दिया है। जिसके बाद सभी लाइसेंस आवेदकों को अब सवाल का जवाब देना जरूरी हो गया है। ऑर्गन डोनेट करने से संबंधित पूछा जाने वाला सवाल अनिवार्य करने के बाद जहां पहले केवल तीन फीसदी लोगों ने ही अपनी डेथ के बाद ऑर्गन देने की इच्छा जताई। वहीं अब यह संख्या बढ़कर 30 फीसदी तक पहुंच गई है।
तीन महीने के आंकड़ों पर एक नजर
बीते तीन महीनों के अगर आंकड़ों पर गौर करें तो बीते जुलाई में 1,19,888 लोगों ने लाइसेंस के लिए आवेदन किया था. जिनमें से केवल 3146 आवेदकों ने ही ऑर्गन डोनेशन की इच्छा जताई थी, लेकिन इस डेटा में अगस्त महीने में 30 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी रेकॉर्ड हुई।
अगस्त में 1,10,937 लोगों ने लाइसेंस के लिए आवेदन किया. जिनमें से 26661 लोगों ने ऑर्गन डोनेशन की सहमति दी। वहीं, 9 सितंबर तक 39650 लोगों ने लाइसेंस के लिए आवेदन किया तो ऑर्गन डोनेशन के लिए हामी भरने वालों की संख्या 11423 थी. जहां पहले ऑर्गन डोनेशन वाला सवाल अनिवार्य नहीं होने पर लोग उसे छोड़ देते थे, उसमें रूचि नहीं लेते थे, लेकिन अब आवेदक मौत के बाद ऑर्गन डोनेशन के लिए काफी संख्या में आगे आ रहे हैं.
लाइसेंस पर लिखा जाएगा ऑर्गन डोनर...
परिवहन विभाग के आयुक्त रवि जैन के अनुसार जो आवेदक ऑर्गन डोनेशन के लिए हां कह रहे हैं उनके लाइसेंस पर ऑर्गन डोनर लिखा जाएगा। अगर कहीं दुर्घटना में ऑर्गन डोनर की मौत होती है तो उसके लाइसेंस से पहचान हो जाएगी की वो ऑर्गन डोनर है या नहीं। जिसके बाद तत्काल उसे किसी अस्पताल में ले जाकर ऑर्गन निकाले जा सकें। एक व्यक्ति के ऑर्गन से 6 से 7 लोगों की जिंदगी बजाई जा सकती है.
राजस्थान में सड़क हादसे...
हर साल के साथ ही राजस्थान में सड़क हादसों की संख्या बढ़ती जा रही है। साल 2017 में राजस्थान में 22112 सड़क हादसे हुए, जिनमें 10444 लोगों की मौत हुई। वहीं, 2018 में प्रदेश में 21742 सड़क दुर्घटना हुई जिसमें 10323 लोगों की मौत हुई। 2019 में प्रदेश में 30468 सड़क दुर्घटनाओं में 10561 लोगों ने अपनी जान गंवाई। 22964 लोग सड़क दुर्घटनाओं में घायल हुए।
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