जब तक सरकार इस काले कानून को वापस नहीं लेती है, जब तक ट्रांसपोर्ट चैन की सांस नहीं लेंगे। ट्रांसपोर्टर पहले ही कोरोना की मार से नहीं उबर पाए है और अब इस कानून से उनको अपनी कंपनी बंद करनी पड़ेगी। जब तक सरकार हमारी मांग नहीं मानेगी, हम आंदोलन करते रहेंगे। इस आंदोलन के लिए कई कमेटियां बनाई जाएंगी, जोकि जगह-जगह धरना प्रदर्शन करेंगे। आगामी समय में इस आंदोलन को और बड़ा करेंगे। सरकार के इस फैसले को लेकर सभी ट्रांसपोर्ट में आक्रोश और गुस्सा है।
क्यों हो रहा है विरोध
परिवहन विभाग ने यात्री बसों में माल ढुलाई को वैध कर दिया है। बसों में माल ढुलाई संबंधी नियम-कायदों का गजट नोटिफिकेशन कर दिया है। इसके बाद प्रदेश में पंजीकृत 50 हजार बसों में आसानी से माल ढुलाई की जा सकेगी। इतना ही नहीं स्टेज कैरिज परमिट की 40 हजार बसों में तो छत पर भी माल का परिवहन किया जा सकेगा। वहीं कांट्रेक्ट कैरिज बसों में केवल डिग्गी व सीटों पर सामान ले जाने की अनुमति दी गई है। माल ढुलाई के लिए बस संचालकों को लाइसेंस लेना होगा। 40 हजार रुपए शुल्क चुकाकर एक साल तक के लिए लाइसेंस लिया जा सकेगा। वहीं एक महीने का शुल्क 6 हजार रुपए निर्धारित किया गया है। मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार बसों की छत पर सामान ढोना या यात्रियों को बैठाना गलत है। यह सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है। कई बार अधिक ऊंचाई या यात्रियों के छत पर बैठने से हादसे हो चुके हैं। इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार भी बसों की छत पर माल नहीं ले जाया जा सकता है।