परिवादी सैय्यद मिरोज अली कैंसर पीड़ित रिश्तेदार को अस्पताल लेकर गया था। जहां पर बिल के जरिए 9 मई 2011 को 12 रुपए में सीलबंद पानी की बोतल खरीदी। बोतल में कचरा होेने की वजह से पीने योग्य नही था। जिस पर विक्रेता को पानी की बोतल बदलकर देने को कहा। पानी की बोतल नहीं बदले जाने पर उपभोक्ता मंच में परिवाद दाखिल किया। मंच के नोटिस ने विक्रेता ने कहा कि जांच पड़ताल के बाद कंपनी का सीलबंद पानी विक्रय किया गया था जिसमें किसी तरह की मिलावट की संभावना नहीं है। मंच के निर्देश पर मुख्य सार्वजनिक विश्लेषक,राज्य केंद्रीय जन स्वास्थ्य प्रयोगशाला ने बोतल की जांच की। प्रयोगशाला ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि बोतल में काले रंग का कचरा था और बोतल का पानी खाद्य सुरक्षा कानून 2006 के तहत सब—स्टैंडर्ड पाया गया है जो पीने योग्य नही है। रिपोर्ट के आधार पर जिला उपभोक्ता मंच ने सब स्टेंडर्ड पानी की बोतल बेचने को सेवादोष करार दिया। मंच के अध्यक्ष नगेंद्र पाल भंडारी ने विकेता और कंपनी पर एक लाख रुपए हर्जाना लगाया है। मंच ने पांच हजार रुपए परिवाद व्यय मिलाकर एक लाख पांच हजार रुपए एक माह में उपभोक्ता को देने के आदेश दिए हैं।