सूत्रों के अनुसार बैठक के एजेंडे में आइसीयू का शुल्क भी दोगुना किया जा सकता है.आइसीयू (ICU) का शुल्क करीब 400 रुपए करने सहित टूडीईको जांच का शुल्क 575 से बढ़ाकर 700, सीटीएमटी का 400 से 600, टीईई जांच का 575 और लैब चार्ज भी डेढ़ से दोगुना शुल्क बढ़ाने का प्रस्ताव है.गेस्ट्रोस्कॉपी जांच शुल्क 500 से बढ़ाकर 800, कोलनोस्कोपी का 1000 से बढ़ाकर 1500, सिगमोईडोस्कोपी का 1750 से 2500, ईआरपी का 1750 से 2500, ईयूएस चार्ज दोगुना, पीटीबीडी शुल्क 200 से बढ़ाकर 1000 रुपए करना प्रस्तावित है.जानकारों की माने तो कुछ विभागों में नई जांचों और उनकी दरों को भी स्वीकृति दी जानी थी.
इधर, शुल्क को लेकर कई जगह अभी से विरोध भी उठ रहे हैं. अस्पताल में आने वाले करीब 70 से 80 प्रतिशत गरीब या मध्यम वर्गीय होते हैं. इनमें से भी करीब 50 से 60 प्रतिशत सरकार की निशुल्क योजनाओ में चिह्नित गरीब श्रेणी के मरीज होते हैं. अब अस्पताल प्रशासन इन मरीजों और उनके परिजनों की आर्थिक स्थिति को नजरअंदाज करते हुए शूल्क बढ़ाने में जुट गया है
अस्पताल की ओर से पिछले सालों के दौरान किए गए ऐसे उपायों की पड़ताल की तो सामने आया कि कुछ व्यवस्थाओं को अस्पताल प्रशासन ने नजर अंदाज कर दिया, तो कुछ को मरीज या उनके परिजनों के लिए सुगम बनाया ही नहीं गया. वहीं अब 50 रुपए शुल्क लगाया जाता है, तो अस्पताल को सालाना करीब 10 करोड़ रुपए की आय हो सकती है. अस्पताल में करीब 2500 मरीज हर समय भर्ती रहते हैं. जिनसे मिलने रोजाना औसतन दो परिचित भी आते हैं, तो मिलने आने वालों की संख्या 5000 हो सकती है.