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कई जगह आदिवासियों की जिंदगी इंसानों जैसी भी नहीं-राज्यपाल

locationजयपुरPublished: Jul 12, 2018 11:21:16 pm

Submitted by:

Shailendra Agarwal

– आदिवासी कल्याण में अफसरों की ढि़लाई पर सख्ती दिखाते हुए बोले राज्यपाल – शिथिलता बरतने वाले विभाग और अधिकारियों को चिन्हित करने के दिए निर्देश

आदिवासी कल्याण से जुड़े मामलों में अधिकारियों की ढि़लाई पर राज्यपाल कल्याण सिंह ने सख्ती दिखाते हुए कहा कि कई जगह आदिवासी इंसानों जैसी जिदंगी भी नही जी रहे हैं, वे सम्मानजनक जीवन जी सकें इसके लिए शासन को प्रयास करने होगें। उन्होंने जनजाति कल्याण योजनाओं में शिथिलता बरतने वाले विभाग और अधिकारियों को चिन्हित कर लापरवाही करने वालों को दण्डि़त करने के निर्देश दिए, वहीं बैठक में ही काम पूरा करने की कट ऑफ डेट पूछकर अधिकारियों को पसीना ला दिया।
राज्यपाल सिंह ने गुरुवार को यहां राजभवन में आदिवासी क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, स्वरोजगार, प्रधानमंत्री आवास योजना के क्रियान्वन सहित अन्य योजनाओं की स्थिति की समीक्षा की। राज्यपाल ने अगली बैठक के लिए 31 जनवरी की तारीख तय करते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा कि जनजाति क्षेत्र में साक्षरता, शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, पौष्टिक आहार, पाठ्य सामग्री व ड्रेस पर विशेष ध्यान दिया जाए। आदिवासी कल्याण के विकास कार्यों को प्राथमिकता से पूरा करने की हिदायत देते हुए कहा कि इस मामले में कोताही बर्दाश्त नहीं होगी। इसके अलावा खेल, संस्कृति एवं शिक्षा से जुड़ी प्रतिभाओं को तराशने की कार्ययोजना बनाने के निर्देश भी दिए। तबादले से पद खाली हुआ तो होगी कार्रवाई राज्यपाल ने कहा, तबादला नीति को ऐसा बनाया जाए कि कर्मचारी ‘इन फ्लोÓ गैर आदिवासी क्षेत्र से आदिवासी क्षेत्र में हो और आदिवासी क्षेत्र से गैर आदिवासी क्षेत्र में ट्रांसफर (आउट फ्लो) कम हों। इस क्षेत्र से किसी कर्मचारी को तब तक कार्यमुक्त नहीं किया जाए, जब तक उसका रिलीवर पद नहीं संभाल ले। निर्देशों का कड़ाई से पालना नहीं करने वालों को कठोर दण्ड दिया जाए।
15 सितम्बर तक निस्तारित करो दावे
राज्यपाल ने कहा कि वन क्षेत्र में निवास करने वालों के लिए वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत पट्टों के लिए ग्राम सभावार कार्ययोजना तैयार की जाए और जिला कलक्टर मासिक समीक्षा कर कठिनाइयों को दूर कराएं। अधिकारी दावा निरस्त करने की गली निकालने के बजाय दावे की पुष्टि कैसे हो, इसके रास्ते तलाशे जाए। भूमि पट्टों के दावों के निस्तारण के लिए 15 सितम्बर की ‘कट ऑफ डेटÓ तय की। वन अधिकार पट्टों को लेकर केन्द्र व राज्य सरकार के सामने नियमों में संशोधन का मामला उठाने के लिए राज्यपाल ने अधिकारियों से टिप्पणी मांगी है।
आवास में रहें, तभी लक्ष्य पूरा
राज्यपाल का मानना था कि प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) का उद्देश्य तभी पूरा होगा, जब अनुसूचित जनजाति के लाभार्थी निर्मित आवासों में रहना शुरू कर देंगे। इन आवासों को परिसम्पतियाँ मानते हुए जीओ टेगिंग सिस्टम लागू करने के निर्देश भी दिए।
उदाहरण बने कार्रवाई
राज्यपाल सिंह ने कहा कि आदिवासियों के बीमा को लेकर दर्ज मामलों में एसओजी की कार्रवाई में तेजी लाई जाए, जिससे यह जांच उदाहरण बने। इसके लिए बीमा कम्पनियों की भूमिका की जांच के साथ ही इसके कारणों का भी पता लगाया जाए, जिससे भविष्य में ऐसे घोटाले के लिए कोई साहस नहीं जुटा पाए।

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