शराबबंदी आंदोलन को समर्थन की बात.. इस दौरान प्रदेशभर से आए शराबबंदी समर्थको ने कहा कि शहीद गुरुशरण छाबड़ा के द्वारा कई बार अनशन और आंदोलन के कारण तत्कालीन सरकार ने शराबबंदी को लेकर चुनाव प्रक्रिया कानून बनवाया था। अपने वार्ड को शराब मुक्त करने का जो कानूनी प्रक्रिया थी, उसे वर्तमान सरकार बन्द करना चाहती है, जो कि शहीद गुरुशरण छाबड़ा की शहादत का अपमान होगा। अगर ऐसा होता है तो हम पूनम अंकुर छाबड़ा जी के नेतृत्व में अपनी ताकत के साथ आंदोलन को तेज करेंगे। साथ ही आगामी उपचुनावों में सरकार इस रवैया का जमकर विरोध करेंगे।
शराबबंदी को लेकर राज्य सरकार का रवैया… जबकि पूर्व विधानसभा अधय्क्ष सुमित्रा सिंह ने कहा कि शराब अपराधों की जननि है। इससे न केवल घर बर्बाद हो रहे हैं, बल्कि युवा पीढ़ी इस लत का शिकार होकर बे-मौत का शिकार हो रही है। उन्होंने कहा कि गुरुशरण छाबड़ा शराबबंदी की मांग को लेकर अपना बलिदान देकर प्रदेश में मिसाल बन गए हैं। छाबड़ा की यह शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी, क्योंकि उनकी पुत्रवधू पूनम छाबड़ा ने इस आंदोलन को गति प्रदान की है। साथ ही समर्थकों ने कहा कि शराब बंदी के लिए शामिल हुए गुरुशरण छाबड़ा की शहादत को दो वर्ष बीत जाने के बावजूद भी सरकार अब तक उनके साथ हुए समझौतों को लागू नहीं कर रही है। सरकार ना-नुकूर की स्थिति में है। जो किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
इन्होंने ने श्रद्धांजलि सभा में लिया हिस्सा… इस दौरान श्रद्धांजलि सभा में दीपक जग्गा, सवाई सिंह, आम आदमी पार्टी से नीलाम क्रांति, आसिफ़, पवन जैन, रमाकांत गोस्वामी, रतिराम, विशाल आदि मौजूद रहे। साथ ही प्रदेश में सीकर, दौसा, करौली, बीकानेर , नारायणपुर, बानसूर आदि जिलों में भी छाबड़ा की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा रखी गई और प्रदेश में शराबबंदी के लिए कामना की गई।