जयपुर

राजस्थान में फिर सामने आया ट्रिपल तलाक का मामला, पति ने हैरान करने वाली बात पर पत्नी को दिया तलाक

पीडि़ता ने आरोपी पति और उसके भाई के खिलाफ ट्रासपोर्ट नगर थाने में मामला दर्ज करवाया है। 25 वर्षीय पीडि़ता ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उसकी शादी 2019 में हुई थी। शादी के बाद से ही पति उसके साथ मारपीट करता था। आए दिन के झगड़े और मारपीट से परेशान होकर वह अपने पिता के घर आकर रहने लगी।

जयपुरApr 26, 2024 / 03:58 pm

जमील खान

Triple Talaq : जयपुर। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल तलाक को भले ही गैरकानूनी घोषित कर दिया हो, लेकिन महिलाओं को तलाक देने के मामले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। राजस्थान की राजधानी जयपुर में पत्नी को तीन तलाक देने का मामला सामने आया है। ताजा मामला ट्रांसपोर्ट नगर का है, जहां एक विवाहिता ने अपने पति के खिलाफ एक बार में तीन तलाक देने का मामला दर्ज करवाया है।
पीडि़ता ने आरोपी पति और उसके भाई के खिलाफ ट्रासपोर्ट नगर थाने में मामला दर्ज करवाया है। 25 वर्षीय पीडि़ता ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उसकी शादी 2019 में हुई थी। शादी के बाद से ही पति उसके साथ मारपीट करता था। आए दिन के झगड़े और मारपीट से परेशान होकर वह अपने पिता के घर आकर रहने लगी। गुरुवार को वह अपने माता-पिता के साथ ससुराल आई थी। परिजनों ने पति को समझाने का प्रयास किया, लेकिन पति और उसके भाई ने परिजनों और उसके साथ मारपीट शुरू कर दी।
परिजनों के सामने दिया तलाक
पीडि़ता ने आगे कहा कि माता-पिता ने इस दौरान आरोपी पति और उसके भाई को समझाने का प्रयास भी लेकिन वे नहीं माने। आरोपी पति ने परिजनों के सामने ही तीन बार तलाक- तलाक बोला और कहा कि आज से तेरा-मेरा रिश्ता खत्म। तू और तेरे परिवार वाले मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते। इसके बाद पीडि़ता ने आरोपी पति के खिलाफ तीन तलाक और मारपीट का मामला दर्ज करवाया है।
तीन साल की सजा का है प्रावधान
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में सुन्नी मुसलमानों द्वारा पर्सनल लॉ के तहत अपनाई जाने वाली ट्र्रिपल तलाक या तलाक-ए-बिद्दत प्रणाली को असंवैधानिक करार देते हुए खारिज कर दिया। पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने 3:2 के बहुमत के फैसले में कहा कि तीन तलाक के लिए कोई संरक्षण नहीं है क्योंकि यह मनमाना है और यह सुलह की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ता है।
साथ ही यह मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन करता है। पांच जजों की बेंच में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश मुख्य न्यायाधीश जे.एस. खेहर और जस्टिस कुरियन जोसेफ, रोहिंटन एफ. नरीमन, उदय यू. ललित और एस.ए. अब्दुल नजीर शामिल हुए थे। अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि एक बार में तीन तलाक देने पर पति को तीन साल की सजा हो सकती है।

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