scriptक्या हुआ था जब अपने ही भक्त हनुमान से हार गए थे श्रीराम? | What happened when Shri rama lost by his own devotee Hanuman | Patrika News

क्या हुआ था जब अपने ही भक्त हनुमान से हार गए थे श्रीराम?

locationनई दिल्लीPublished: Jan 16, 2018 08:41:41 am

Submitted by:

Priya Singh

महाकाव्यों के चरित्रों से जुड़ी हुई अनेकों कहानियां हैं, जो कलियुग में भी प्रासंगिक है।

Mahabharata,Ramayana,Lord Rama,Magical powers of Lord Hanuman,Lord Hanuman blessings Hanuman Chalisa,Devotee of Lord Rama,narad muni,
नई दिल्ली। रामायण और महाभारत से जुड़े ऐसे कितने ही प्रसंग है, जिसे सुनकर हम जीवन में बहुत की सरलता से जी सकते हैं। इन दोनों महाकाव्यों के चरित्रों से जुड़ी हुई अनेकों कहानियां हैं, जो कलियुग में भी प्रासंगिक है। श्रीराम, लक्ष्मण और सीता की जीवन यात्रा के साथ भक्त हनुमान से जुड़े कई प्रसंगों का वर्णन रामायण में किया गया है। उत्तर रामायण के अनुसार अश्वमेघ यज्ञ पूरा होने के बाद भगवान श्रीराम ने बड़ी सभा का आयोजन कर सभी देवताओं, ऋषि-मुनियों, यक्षों, किन्नरों और राजाओं आदि को उसमें आमंत्रित किया। सभा में आए नारद मुनि के भड़काने पर एक राजन ने भरी सभा में ऋषि विश्वामित्र को छोड़कर सभी को प्रणाम किया। ऋषि विश्वामित्र गुस्से से भर उठे और उन्होंने भगवान श्रीराम से कहा कि अगर सूर्यास्त से पूर्व श्रीराम ने उस राजा को मृत्यु दंड नहीं दिया तो वो राम को श्राप दे देंगे।
Mahabharata,Ramayana,Lord Rama,Magical powers of Lord Hanuman,Lord Hanuman blessings Hanuman Chalisa,Devotee of Lord Rama,narad muni,
इस पर श्रीराम ने उस राजा को सूर्यास्त से पूर्व मारने का प्रण ले लिया। श्रीराम के प्रण की खबर पाते ही वो राजा भागा और हनुमान जी की माता अंजनी की शरण में जा गिरा तथा बिना पूरी बात बताए उनसे प्राण रक्षा का वचन मांग लिया। माता अंजनी ने हनुमान जी को उस राजन की प्राण रक्षा का आदेश दिया। हनुमान जी ने श्रीराम की शपथ लेकर कहा कि कोई भी राजन का बाल भी बांका नहीं कर पाएगा परंतु जब राजन ने बताया कि भगवान श्रीराम ने ही उसका वध करने का प्रण किया है तो हनुमान जी धर्म संकट में पड़ गए कि राजन के प्राण कैसे बचाएं और माता का दिया वचन कैसे पूरा करें तथा भगवान श्रीराम को श्राप से कैसे बचाएं।
Mahabharata,Ramayana,Lord Rama,Magical powers of Lord Hanuman,Lord Hanuman blessings Hanuman Chalisa,Devotee of Lord Rama,narad muni,
धर्म संकट में फंसे हनुमानजी ने राजा को सरयू नदी के तट पर जाकर राम नाम का जाप करने को कहा। हनुमान खुद सूक्ष्म रूप में राजन के पीछे छिप गए। हनुमानजी ने राजन से सरयू नदी के तट पर जाकर राम नाम जपने की आज्ञा दी। हनुमानजी को यह ज्ञात था कि राम नाम जपते हु‌ए राजन को कोई भी नहीं मार सकता, खुद मर्यादा पुरुषोत्तम राम भी नहीं। श्रीराम फिर सरयू तट पर लौटे उस राजन को मारने के लिए लेकिन जब उन्होंने शक्ति बाण निकाला तब हनुमानजी के कहने पर राजन राम-राम जपने लगा। राम जानते थे राम-नाम जपने वाले पर शक्तिबाण असर नहीं करता।
Mahabharata,Ramayana,Lord Rama,Magical powers of Lord Hanuman,Lord Hanuman blessings Hanuman Chalisa,Devotee of Lord Rama,narad muni,
प्रभु श्री राम ने सोचा कि मेरे नाम के साथ-साथ ये राजन शक्ति और भक्ति की जय बोल रहा है। ऐसे में कोई अस्त्र-शस्त्र इसे मार नहीं सकता। इस संकट को देखकर श्रीराम मूर्छित हो गए। तब ऋषि व‌शिष्ठ ने ऋषि विश्वामित्र को सलाह दी कि राम को इस तरह संकट में ना डालें। उन्होंने कहा कि श्रीराम चाह कर भी राम नाम जपने वाले को नहीं मार सकते क्योंकि जो बल राम के नाम में है और खुद राम में नहीं है। संकट बढ़ता देखकर ऋषि विश्वामित्र ने राम को संभाला और अपने वचन से मुक्त कर दिया। मामला संभलते देखकर राजा के पीछे छिपे हनुमान वापस अपने रूप में आ गए और अपने प्रभु श्रीराम के चरणों मे आ गिरे और आखों में गंगाजल लिए माफ़ी मांगकर पूरी गाथा बताई।
पूरा प्रसंग सुनने के बाद प्रभु श्रीराम ने कहा कि, “हनुमानजी ने इस प्रसंग से सिद्ध कर दिया है कि भक्ति की शक्ति सैदेव आराध्य की ताकत बनती है” तथा सच्चा भक्त सदैव भगवान से भी बड़ा रहता है। इस प्रकार हनुमानजी ने राम नाम के सहारे श्री राम को भी हरा दिया। धन्य है राम नाम और धन्य हैं प्रभु श्री राम के भक्त हनुमान। “ऐसे ही नहीं माना गया है कि राम से बड़ा नाम का नाम”।
Mahabharata,Ramayana,Lord Rama,Magical powers of Lord Hanuman,Lord Hanuman blessings Hanuman Chalisa,Devotee of Lord Rama,narad muni,
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो