मामले में प्रसूता रमा देवी ने मंगलवार को पुलिस कमिश्नर को पूरे मामले से अवगत कराते हुए आरोप लगाया कि उसकी सिंधी कैंप थाने में भी एफआईआर दर्ज कराने के बजाय परिवाद दर्ज किया, जिससे यह लगता है कि इस मामले में स्थानीय पुलिस और अस्पताल प्रशासन की मिलीभगत है। प्रसव के बाद जब उसे एक ही शिशु दिया गया तो अस्पताल में उससे कुछ कागजों पर हस्ताक्षर करा लिए गए।
जांच कमेटी की रिपोर्ट के बाद अस्पताल अधीक्षक डॉ. लता राजोरिया ने कहा कि कमेटी ने पूरी पड़ताल के बाद रिपोर्ट दी है। इसके लिए जर्नल भी दिखवाया गया है, जिसमें यह रीढ़ की हड्डी का दुर्लभ विकार है। ऐसी स्थिति में सोनोग्राफी में कभी कभी जुड़वा बच्चों जैसा नजर आता है, जबकि ऐसा होता नहीं है। इसे मिरर आर्टिफैक्ट कहते हैं। जिसमें शीशे की तरह नजर आता है।
शनिवार को सामने आए इस मामले में अस्पताल प्रशासन ने दो दिन बाद सोमवार को जांच कमेटी गठित की थी। शनिवार और रविवार को अवकाश के नाम पर कमेटी नहीं बनाई गई थी। सोमवार को कमेटी बनाई गई और कमेटी ने एक दिन में रिपोर्ट भी सौंप दी। कमेट में एक स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ, एक रेडियोडायग्नोसिस और एक ऐनेस्थीसिया विशेषज्ञ को शामिल किया गया था।