राजधानी जयपुर में चार साल बाद आईपीएल राजधानी जयपुर में चार साल बाद हुए आईपीएल सीजन—11 के पहले मैच के लिए लोगों में जबरदस्त उत्साह था। हजारों लोग मैच देखने पहुंचे भी, लेकिन वे सभी इस बात से अंजान थे कि वे बड़े खतरे के बीच मैच देख रहे हैं। क्योंकि जयपुर नगर निगम की ओर से फायर एनओसी जारी करने में बड़ी लापरवाही सामने आई है। जब मैच हुआ तब ना तो स्टेडियम में अग्निजनित हादसों से निपटने के पुख्ता इंतजाम थे और ना ही भगदड़ की स्थिति में लोगों को बाहर निकालने का बाधारहित रास्ता। ऐसी ही लापरवाही के चलते बीते दिन विद्याधर नगर के एक मॉल में आग लगी है।
पहले मुकाबले के दौरान सामने आई थीं कमियां
नगर निगम ने मैच के दौरान स्टेडियम के चारों निकास गेट पर एक—एक दमकल तैनात की थी। मैच आयोजकों ने इन दमकलों के आगे बेरिकेडिंग कर दी। यदि मैच के दौरान इनकी जरूरत पड़ती तो बेरिकेडिंग की वजह से दमकल कहीं जा भी नहीं पाती। यही नहीं निगम अधिकारियों ने निकास गेट पर बाधारहित आवागमन के लिए निकास गेट पर बेरिकेडिंग नहीं करने को कहा था। बेरिकेडिंग की वजह से लोग भगदड़ की स्थिति में वहां से निकल नहीं पाते। जबकि आयोजकों ने निकास गेट पर बेरिकेडिंग कर रास्ता अवरुद्ध कर दिया था।
खतरे में डाल दी थी हजारों की जान फायर एनओसी जारी करने में निगम की लारवाही का आलम ये था कि एसएमएस स्टेडियम में बनाई गई चार रसोइयों में से दो में अग्निशमन के उपकरण तक नहीं लगे थे। मैच के आयोजन के दौरान एसएमएस स्टेडियम में 4 किचन काम में ली गईं। इनमें से दो रसोई में फायर सेफ्टी के कोई इंतजाम नहीं थे। निगम की फायर सेफ्टी टीम ने स्टेडियम में बिजली के तारों को कवर करने के लिए कहा था, लेकिन स्टेडियम में मैच के दौरान और उसके बाद भी बिजली के तार खुले पड़े रहे। इनसे हादसे की आशंका बनी रहती है। राजधानी जयपुर में आग से ईपी स्थित मैरिज गार्डन और मैसूर महल जैसे बड़े हादसे हो चुके हैं। इसके बावजूद निगम ने अधूरे इंतजामात के साथ फायर एनओसी जारी कर हजारों लोगों की जान को खतरे में डाल दिया था।