सबरीमाला। केरल पुलिस(Kerala Police) ने सोमवार को आंध्र प्रदेश से आई दो महिलाओं(Women) को सबरीमला मंदिर(Sabrimala Temple) में प्रवेश करने से रोक (Prevented from Entering ) दिया। दोनों महिलाओं की उम्र 50 के आस-पास की थी। पुलिस ने हालांकि इन दोनों महिलाओं के पहचान पत्र देखने के बाद इन्हें छोड़ दिया। उल्लेखनीय है कि मंदिर की परंपरा के अनुसार 10 से 50 वर्ष की आयु की महिलाएं मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकती हैं। दो महीने तक चलने वाला सबरीमला मंदिर का उत्सव गत रविवार से शुरू हो चुका है। उधर, सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ इस मामले को वृहदपीठ को सौंप चुकी है और ये भी साफ कर दिया है कि उनका पूर्व का निर्णय लागू रहेगा। यानी वृहदपीठ का फैसला आने तक सभी उम्र की महिलाओं को सबरीमला मंदिर में प्रवेश की अनुमति रहेगी। इस बीच केरल सरकार ने भी यह साफ कर दिया है कि वह मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर अपनी ओर से कोई प्रयास नहीं करेगी।
-पहले भी रोका था तीन महिलाओं को इससे पहले शनिवार को भी 50 वर्ष से नीचे की तीन महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें भी अंदर नहीं जाने दिया गया था। उच्चतम न्यायालय ने पिछले वर्ष सबरीमला मंदिर में महिलाओं के जाने पर से पाबंदी हटा दी थी लेकिन इसके बावजूद भगवान अयप्पा के भक्त महिलाओं के मंदिर में प्रवेश करने के खिलाफ हैं और उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति रोङ्क्षहगटन फली नरीमन, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की संविधान पीठ ने पिछले सप्ताह गुरुवार को सबरीमला मामले में 3:2 के बहुमत का फैसला सुनाया। संविधान पीठ ने धार्मिक स्थलों में महिलाओं के प्रवेश जैसे व्यापक मसले को सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सुपुर्द कर दिया। इस बीच पीठ ने कहा कि सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश के संबंध में पूर्व का फैसला वृहद पीठ का अंतिम निर्णय आने तक बरकरार रहेगा।