शहर के विद्याधर नगर में स्थित ‘शांति कुंज’ में शुक्रवार आधी रात के बाद मौत का ऐसा तांडव मचा कि परिवार के मुखिया और अगली पीढिय़ों को लील गया। परिवार के सबसे बुजुर्ग सदस्य और उनके तीन पोते-पोतियों की मौत के साथ ही परिवार के एक अन्य सदस्य की भी मौत हो गई। (सभी फोटो - संजय कुमावत)
हादसा इतना भयावह था कि जब बंगले से बुरी तरह से झुलसे लोगों को निकाला गया तो स्थानीय लोगों के साथ ही पुलिस के कुछ अफसरों के भी आंसू निकलने लगे। देर रात दो बजे से तीन बजे के बीच जब यह हादसा हुआ तो पूरी कॉलोनी अपने-अपने घरों से बाहर आ गई और राहत एवं बचाव कार्य में जुट गई।
लोहे के बड़े कारोबारी महेन्द्र और उनके बेटे संजीव कई सालों से यहां रह रहे थे। संजीव की दो बेटियां अपूर्वा (21) और अर्पिता (24) अपने दादा का विशेष ख्याल रखती थीं। संजीव का बेटा अनिमेश (18) और भांजा शौर्य (23) भी बीती रात घर पर ही मौजूद था। संजीव और उनकी पत्नी किसी काम से आगरा गए थे।
दादा की देखभाल के लिए ही दोनों पोतियां उनके रूम के साथ वाले रूम में ही सोती थीं। बीती रात भी दोनों पोतियां दादा को खाना खिलाने के बाद सोयी थीं। पोता अनिमेश और शौर्य पहली मंजिल पर सोए थे।
ग्राउंड फ्लोर में आग लगने के बाद सोफे और अन्य वस्तुओं में आग लगने से धुआं इतना फैला कि पहली मंजिल पर सोए अनिमेश और शौर्य अचेत हो गए और उनकी मौत हो गई।
स्थानीय लोगों ने सभी को पास ही स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती भी कराया था, लेकिन चिकित्सकों ने एक-एक कर सभी को मृत घोषित कर दिया।
दादा के लिए ग्राउंड फ्लोर पर सोयी थीं दोनों बहनें