इस घटना से आहत पीड़ित मां लालमगरी हिरणमगरी निवासी मंजू भाट पत्नी आकाश कंजर ने राजस्थान राज्य जरिए लोक अभियोजक, पंडेर भीलवाड़ा निवासी तुलसी बाई पत्नी मदनलाल कंजर, उसके पुत्र श्यामलाल के खिलाफ निगरानी याचिका पेश की। इसमें बताया कि उसका विवाह दस वर्ष पूर्व आकाश से हुआ था। उसके दो जुड़वा बच्चे पुत्री आरूषि और पुत्र अनमोल है।
जिसके बाद अब अपर न्यायालय ने इस मामले में दायर की गई याचिका को स्वीकार करते हुए बच्ची को उसके मां के सुपुर्द करने का आदेश दे दिया। तो वहीं अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश क्रम-1 के पीठासीन अधिकारी अनुपमा राजीव बिजलानी ने अधीनस्थ न्यायालय के निर्णय को विधि सम्मत नहीं मानते हुए उसे खारिज कर दिया। जिसके बाद एक पीड़ित मां को उसकी अबोध बच्ची मिल गई।
दरअसल दो माह पहले पति के निधन के बाद वह अपनी दूधमुंही बच्ची आरूषि के साथ मां के घर आ गई थी। एक फरवरी 2017 को मां के साथ वह पुत्री को अस्पताल दिखाने गई तो आरोपित जीप लेकर वहां पहुंचे और पुत्री को जबरन छीनकर अपने साथ ले गए थे और वह अबतक उनके उनके कब्जे में थी। उसकी देखरेख और चिकित्सा सही ढंग से नहीं हो पा रही है।
इस संबंध में बच्चों द्वारा मां के साथ नहीं रहने, श्यामलाल द्वारा बच्चों को तकलीफ नहीं देने और उचित शिक्षा देने का तर्क देने पर उपखण्ड न्यायालय गिर्वा ने बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए दादी और काका को सुपुर्दगी के आदेश दिए थे। इसके विरुद्ध परिवादिया ने निगरानी याचिका पेश की। अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश क्रम-1 ने अधीनस्थ न्यायालय के फैसले को अपास्त करते हुए बच्ची को मां के सुपुर्द करने के आदेश दिए हैं।