गौरतलब है कि गुरुवार को भी डॉक्टरों ने दो घंटे ओपीडी बहिष्कार कर विरोध जलाया था। डॉक्टरों के दो घंटे ओपीडी बहिष्कार से गुरुवार को भी जिला अस्पतालों सहित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों व अन्य छोटे अस्पतालों में मरीज प्रभावित रहे। इधर, संघ के पदाधिकारी आंदोलन की आगामी रणनीति बनाने में जुटे हैं।
वहीं दूसरी ओर मंची चिकित्सा मंत्री कालीचरण सर्राफ ने दो टूक जवाब दे दिया है कि धमकियों से सरकार डरती नहीं है। उन्होंने बताया कि किसी ने भी अनुशासन तोड़ा तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। डॉक्टरों के 72 घंटे के हड़ताल पर जाने के अल्टीमेटम के बाद मरीज भी परेशान हैं। सराफ ने कहा, “संघ की ही मांग थी कि पदाधिकारियों को प्रशासनिक कार्यों से हटाया जाए। इसलिए सरकार ने प्रशासनिक पदों से तबादले किए हैं ताकि वे मरीजों की सेवा कर सकें। ऐसे में उन्हें दिक्कत नहीं होनी चाहिए। ये तबादले प्रशासनिक स्वच्छता के लिए किए गए हैं। कोई आंदोलन की धमकी देता है तो सरकार उस पर कार्रवाई करेगी। ऐसी धमकियों से सरकार डरती नहीं है।”
आपको बता दें कि हड़ताल के दौरान अगुवाई करने वाले सेवारत चिकित्सक संघ पदाधिकारियों के तबादलों को लेकर डॉक्टरों और सरकार के बीच रार बढ़ती जा रही है। तबादलों के विरोध में प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर सेवारत चिकित्सकों का ओपीडी बहिष्कार गुरुवार को दूसरे दिन भी जारी रहा। लेकिन इस रस्साकशी में यदि मरीजों की जान पर बन आए तो चिंता का विषय है। गौरतलब है कि बीते माह राजस्थान में करीब सात दिन रही चिकित्सकों की हड़ताल के कारण 30 से अधिक मरीजों की जान चली गई थी।
वहीं अब पुन: राजस्थान चिकित्सक सेवारत संघ के बैनर तले दस हजार से ज्यादा चिकित्सक हड़ताल पर जाने की तैयारी कर रहे हैं। इसी विरोध के चलते चिकित्सकों ने सरकार को 72 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। इस दौरान प्रदेश के सरकारी अस्पताल में चिकित्सक अस्पताल के बाहर टेंट लगाकर मरीजों का इलाज करेंगे। वे केवल गंभीर मरीज को देखने की अस्पताल परिसर में प्रवेश करेंगे। यदि 72 घंटे में भी सरकार की ओर से कोई सकारात्मक रुख नहीं दिखता है तो चिकित्सक हड़ताल पर जा सकते हैं।