गर्भस्थ शिशु की मौत, बीमा कंपनी देगी ढाई लाख रुपए
जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने ग्यारह वर्ष पूर्व वाहन दुर्घटना में मृत गर्भस्थ शिशु की भी एक जिंदगी मानते हुए न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी को दावे के तौर पर ढाई लाख रुपए और ब्याज राशि अदा करने के आदेश दिए हैं।
न्यायाधीश डॉ. पुष्पेंद्रसिंह भाटी ने लखनऊ निवासी सोनिया की अपील पर यह आदेश दिया। याची के अधिवक्ता अनिल भण्डारी ने कोर्ट को बताया कि 1 जुलाई, 2008 को अपीलार्थी पति के साथ कार में बाड़मेर से जोधपुर आ रही थी, तब एक वाणिज्यिक वाहन ने कुड़ी गांव के पास टक्क्र मार दी। इससे उन्हें काफी चोटें आई। उसे अस्पताल ले जाया गया। इस दौरान उन्हें अहसास हुआ कि उसके गर्भ में 7 माह से पल रहे शिशु की मृत्यु हो गई है। मोटरयान दुर्घटना दावा अधिकरण बालोतरा ने 9 अगस्त 2010 को यह कहकर प्रार्थी का दावा खारिज कर दिया था कि गर्भवती महिला ने लखनऊ के निजी अस्पताल में 4 दिन बाद ऑपरेशन द्वारा मृत बालिका को जन्म दिया,जो विश्वसनीय नहीं है और यह नहीं माना जा सकता है कि दुर्घटना की वजह से गर्भ में पल रही शिशु की मृत्यु हुई। बीमा कंपनी की ओर से कहा गया कि अधिकरण ने दावा खारिज करने में कोई गलती नहीं की और अजन्मे बच्चे का कोई दावा नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट ने अपील मंजूर करते हुए कहा कि गर्भवती महिला के गर्भ में पल रहे शिशु की भी एक जिंदगी होती है। कोर्ट ने मुआवजा देने के आदेश दिए।